विधानसभा चुनाव प्रचार: 70 के दशक से आज के हाईटेक युग तक बदल गया चुनाव प्रचार का तरीका

Praveen Upadhayay's picture

RGAन्यूज़

UP Assembly Election 2022 चुनाव प्रचार 70 और 80 के दशक में बैलगाड़ी से होता था। फूलों से सजी आठ से दस बैलगाडिय़ों का काफिला जब निकलता था तो लोगों की भीड़ देखने को जुटती थी। बैलगाड़ी के पीछे उम्मीदवार और समर्थन भोपू से नारा लगाते हुए चलते थे

70 व 80 के दशक में नेता बैलगाडि़यों से चुनाव प्रचार करते थे। भाेंपू से प्रचार किया जाता था।

प्रयागराज। बुजुर्गों को तो याद होगा लेकिन युवाओं में जिज्ञासा है। जिज्ञासा यह है कि पहले चुनाव प्रचार का क्‍या तरीका होता था, नेता चुनाव प्रचार कैसे करते थे और किस माध्‍यम से चुनाव में प्रत्‍याशी जनता को लुभाने का प्रयास करते थे। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि 70 और 80 के दशक में चुनाव प्रचार का क्‍या था तरीका। इस रोचक जानकारी को इस खबर के माध्‍यम से आपके पास पहुंचाने का प्रयास है।

हाईटेक युग में एडवांस तकनीक से चुनाव प्रचार

वर्तमान समय हाईटेक का है। हर चीज एडवांस तकनीक से की जा रही है तो चुनाव प्रचार के तरीके में भी बदलाव आया है। आज तो चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया का भी प्रयोग हो रहा है। कम समय में अधिक से अधिक लोगों से जुड़ने और अपनी बात पहुंचाने के लिए यह माध्‍यम सबसे सशक्‍त हो गया है। चुनाव प्रचार अब हाइटेक तरीके से होने लगा है। सैकड़ों गाडिय़ों का काफिला उम्मीदवार निकाल कर मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं

तब बैलगाड़ी से होता था चुनाव, भोंपू से लगते थे नारे

अब हम आपको ले चलते हैं 70 और 80 के दशक में। चुनाव प्रचार 70 और 80 के दशक में बैलगाड़ी से होता था। फूलों से सजी आठ से दस बैलगाडिय़ों का काफिला जब निकलता था तो लोगों की भीड़ देखने को जुटती थी। बैलगाड़ी के पीछे उम्मीदवार और समर्थन भोपू से नारा लगाते हुए चलते थे।

अतीक की यादों में खो गए 83 वर्षीय डाक्‍टर परमात्‍म

प्रयागराज में लोहिया मार्ग के रहने वाले 83 वर्ष के डा. परमात्म सिंह बताते हैं कि पहले कम खर्चे में चुनाव होता था। उस दौरान शोर शराबा नहीं होता था। प्रचार के दौरान जीप और कार आती थी तो देखने के लिए सड़कों के किनारे भीड़ जुटती थी। समर्थक उम्मीदवारा का नाम, पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न हाथ से लिख कर लोगों को देते थे। उम्मीदवार के नाम की घोषणा के बाद प्रमुख लोग एक बैठक करते थे। किस उम्मीदवार को वोट देना है उस बैठक में निर्णय होता था। लोगों का विचार जानने के लिए हाथ उठवाया जाता था। जिस उम्मीदवार के पक्ष में हाथ अधिक उठता था, उसी के पक्ष में मतदान सभी लोग करते थे। सर्वसम्मति से जो निर्णय हो जाता था उसका सभी लोग खुलकर समर्थन भी करते थे।

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.