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RGAन्यूज़
UP Assembly Election 2022 आठ बार से विधायक हैं बसपा के श्याम सुंदर शर्मा। मांट में अब तक भाजपा नहीं खिला सकी कमल। सीएम योगी पिछले दिनों मांट में जनसभा कर चुके हैं। सपा की साइकिल भी यहां कभी चुनावी रफ्तार नहीं भर
पढ़ें मथुरा जिले के मांट विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति।
आगरा, कान्हा की नगरी में एक सियासी रण ऐसा भी है, जहां हर दल के सूरमा फेल हो गए। बीते चुनाव में जब पूरे सूबे में भाजपा की सुनामी मानी जा रही थी, तब भी मथुरा का मांट विधानसभा क्षेत्र में कमल नहीं खिल सका। यहां श्याम सुंदर शर्मा के ''हाथी'' ने रफ्तार भर विरोधियों को पीछे छोड़ दिया। आठ बार से विधायक श्याम सुंदर शर्मा के किले को भेदने के लिए अब सभी राजनीतिक दल नए सिरे से तैयारी कर रहे हैं। खुद सीएम योगी ने पिछले दिनों मांट में जनसभा की
हर दल के लिए मांट का सियासी कला विशेष बन गया है। इस बार चुनाव में हर राजनीतिक दल के लिए मांट सीट महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जाट विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक जाट मतदाता हैं। वर्तमान में बसपा के श्याम सुंदर शर्मा विधायक हैं। दूसरे दलों के लिए ये सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यहां पर आठ बार से श्याम सुंदर शर्मा कब्जा है। 1989 में उनके पिता लोकमणि शर्मा कांग्रेस से इस सीट से विधायक बने थे। 1989 में श्याम सुंदर शर्मा मैदान में कूदे और चुनाव जीतते रहे। कांग्रेस, तिवारी कांग्रेस, लोकतांत्रिक कांग्रेस और फिर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के रास्ते से विधायक बने और अब बसपा के हाथी पर सवार हैं। अब तक के चुनाव में एक बार जयंत चौधरी से श्याम सुंदर शर्मा को हार का सामना करना पड़ा। 2012 के चुनाव में श्याम सुंदर शर्मा तृणमूल कांग्रेस से चुनाव लड़े और जयंत चौधरी रालोद से। जयंत ने इस चुनाव में उन्हें पराजित कर दिया। लेकिन सांसद रहते यहां चुनाव लड़ने के कारण चुनाव के तत्काल बाद ही जयंत ने मांट सीट छोड़ दी। यहां फिर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस से ही श्याम सुंदर शर्मा फिर विधायक बने। मांट विधानसभा के लिए खास बात ये रही कि भाजपा आज तक यहां पर कमल नहीं खिला सकी है। 2017 के चुनाव को छोड़ दें, तो भाजपा कभी दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सकी। 2017 के चुनाव में बसपा की टिकट पर श्याम सुंदर शर्मा ने निकटतम प्रत्याशी रालोद के योगेश चौधरी को 432 मतों से हराया। भाजपा ने तब सतीश कुमार शर्मा को मैदान में उतारा था। तब श्याम सुंदर शर्मा और भाजपा प्रत्याशी के बीच महज छह हजार वोटों का अंतर था। सपा की साइकिल भी यहां कभी चुनावी रफ्तार नहीं भर पाई। इस बार मांट के राजनीतिक किले को लेकर हर दल तेजी से तैयारी कर रहा है। सपा और रालोद यहां गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं, तो भाजपा के लिए खुद सीएम ने दो माह पहले मांट में जनसभा की। फिलहाल मांट को लेकर विशेष रणनीति भी अंदरखाने तैयार की जा रही है।