अब पहले से अधिक ताकतवर होगा बाजरा, जिंक और आयरन बढ़ाने पर शोध करेगा लखनऊ विश्वविद्यालय

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RGAन्यूज़

लखनऊ विश्वविद्यालय पौधों की वृद्धि करने वाले जीवाणुओं के माध्यम से बाजरे में जिंक और आयरन की मात्रा बढ़ाने पर शोध करेगा। राज्य सरकार के सेंटर आफ एक्सीलेंस योजना के तहत बायो केमेस्ट्री विभाग की शिक्षिका डा. कुसुम यादव को एक प्रोजेक्ट मिला है।

अब बाजरे में जिंक और आयरन की मात्रा बढ़ाने को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय करेगा शोध।

बाजरे का नियमित सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। अब लखनऊ विश्वविद्यालय पौधों की वृद्धि करने वाले जीवाणुओं के माध्यम से बाजरे में जिंक और आयरन की मात्रा बढ़ाने पर शोध करेगा। ताकि इसे पहले से ज्यादा ताकतवर बनाया जा सके। इसके लिए राज्य सरकार के सेंटर आफ एक्सीलेंस योजना के तहत विश्वविद्यालय के बायो केमेस्ट्री विभाग की शिक्षिका डा. कुसुम यादव को एक प्रोजेक्ट मिला है। इस शोध कार्य के लिए सवा चार लाख रुपये का बजट मंजूर किया गया है। वह जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू करेंगी।

लवि की बायो केमेस्ट्री विभाग की शिक्षिका डा. कुसुम यादव ने बताया कि जिंक और आयरन की कमी की वजह से भारत में 80 फीसद गर्भवती महिलाएं, 52 फीसद सामान्य महिलाएं और छह से 35 आयु वर्ग के 74 फीसद बच्चे और युवा आयरन की कमी से पीड़ित हैं। पांच साल से कम उम्र के लगभग 52 फीसद बच्चों में भी जिंक की कमी है। इसलिए बाजरे पर शोध करके इसमें जिंक और आयरन बढ़ाने पर कार्य किया जाएगा।

इन बीमारियों को रोकने में मददगार : बाजरे में 14 फीसद जिंक, छह फीसद आयरन के साथ-साथ फायबर एवं ग्लूटेन मुक्त प्रोटीन भी होता है। इसके नियमित सेवन से मधुमेह, ह्दय रोग, सिलियक रोग और कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलती है। राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में इसकी अधिक खेती होती है। बाजरा जलवायु परिवर्तन अनुकूलित फसल है जो सूखा, गर्मी और मिट्टी की लवणता के प्रति सहनशील होती

इस तरह होगा शोध : डा. कुसुम यादव बताती हैं कि पौधों की वृद्धि करने वाले जीवाणु पौधों की जड़ों मे रहते हैं। मिट्टी में मौजूद लवण को पौधों द्वारा अवशोषित करने में भी सहायक होते हैं। इन्हीं जीवाणुओं का उपयोग करके बाजरे में आयरन और जिंक का पोषण बढ़ाया जाएगा। सबसे पहले ऐसे जीवाणु जो आधिक गर्मी (जैसे राजस्थान एवं गुजरात की मिट्टी मे पाये जाने वाले) में भी जीवित रह सकते हैं, उनका प्रवर्धन उस मिट्टी से किया जाएगा। इस कार्य में गुजरात के सरदार कृषिनगर दंतीवाडा कृषि विश्वविद्यालय के सूक्ष्म जीव विज्ञानी डा. अनुराग यादव सहयोग करेंगे। ऐसे जलवायू परिवर्तन अनुकूलित जीवाणुवों को इन बाजरे के पौधों व बीज के साथ या खाद में मिलाकर शोध करेंगे। इसमें आयरन और जिंक के साल्ट भी डालेंगे तथा अवशोषित आयरन एवं जिंक की मात्रा मापेंगे। इसे जीवाणु के साथ और जीवाणु रहित स्थिति में बाजरे के पौधे के साथ ग्रीन हाउस में उगाकर स्थिति देखेंगे।

कृषि विज्ञान केंद्र से होगा वितरण : शोध से मिलने वाले जीवाणु जो बाजरे में आयरन एवं जिंक पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ा रहे हैं, उनको कृषि विज्ञान केन्द्र में वितरित किया जाएगा। किसान इन जीवाणुओं को अपनी फसल में जैविक खाद के रूप में या बीज के साथ मिलाकर खेत में डाल सकते हैं

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