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RGAन्यूज़
UP Vidhan Sabha Chunav 2022 प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) में भाजपा ने 1980 में 11 सीटों पर उम्मीदवार उतरे थे। सभी पर हार का सामना करना पड़ा। यहां तक कि एक दो उम्मीदवारों को छोड़ दें तो उनके वोट का प्रतिशत दहाई पर भी नहीं पहुंच सका था
UP Vidhan Sabha Chunav 2022: भाजपा का 1980 से आज तक का प्रयागराज में रोचक सफर रहा है।
प्रयागराज,। उत्तर प्रदेश की अब तक की राजनीति में भाजपा का स्वर्णिम काल 2017 का चुनाव रहा। पार्टी ने 312 सीट जीती। प्रयागराज में 12 में से आठ, प्रतापगढ़ में सात में से चार और कौशांबी में सभी तीनों सीट पर परचम लहराया। अब उस प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है। खास बात यह कि इस चुनाव में पार्टी ने सिर्फ सीट में बढ़ोतरी नहीं की बल्कि वोट का प्रतिशत भी बढ़ाया।
एक नजर में भाजपा का प्रयागराज में सफर
2017 से पहले हिचकोले खाती रही भाजपा
छह अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी का हुआ उदय
शुरू के दो चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी पार्टी
2017 में सीट ही नहीं वोट प्रतिशत बढ़ाने में भी मिली सफलता
2017 में आठ सीट जीती जबकि 2012 में नहीं खुला था खाता।
भारतीय जनता पार्टी का 1980 से जानें प्रयागराज में सफर
आज की भारतीय जनता पार्टी का उदय छह अप्रैल 1980 को हुआ। प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) में पार्टी ने उस समय 11 सीटों पर उम्मीदवार उतरे थे। सभी पर हार का सामना करना पड़ा। यहां तक कि एक दो उम्मीदवारों को छोड़ दें तो उनके वोट का प्रतिशत दहाई पर भी नहीं पहुंच सका था। मेजा से मैदान में उतरे श्याम नारायण को 16.41 प्रतिशत, करछना से राधेश्याम पटेल को 5.23 प्रतिशत, बारा से गिरजाशंकर को 2.78 प्रतिशत, झूंसी से रामशिरोमणि को 2.50 प्रतिशत, हंडिया से नबाद प्रसाद को 4.22 प्रतिशत, प्रतापपुर से लालता प्रसाद को 1.25 प्रतिशत, सोरांव से जमुना प्रसाद को 1.88 प्रतिशत, नवाबगंज से शंभू कुमार को 8.17 प्रतिशत, इलाहाबाद उत्तरी से केशरीनाथ त्रिपाठी को 32.97 प्रतिशत, इलाहाबाद दक्षिणी से रामचंद्र जयसवाल को 19.32 प्रतिशत, इलाहाबाद पश्चिमी से बृजेश कुमार को 12.23 प्रतिशत वोट से संतोष करना
989 के चुनाव में भाजपा का खाता केशरीनाथ त्रिपाठी ने खोला था
1985 में भी पार्टी खाता नहीं खोल सकी। मात्र सात सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। 1989 के चुनाव में पार्टी का खाता खुला और इलाहाबाद दक्षिणी सीट से पं. केशरीनाथ त्रिपाठी ने जीत दर्ज की। उन्हें 22275 वोट अर्थात 34.76 प्रतिशत वोट मिले थे। उसके बाद 2991 के चुनाव में नवाबगंज विधानसभा सीट से प्रभाशंकर पांडेय ने 28.34 प्रतिशत वोट और इलाहाबाद दक्षिणी सीट से पं. केशरीनाथ त्रिपाठी ने 47.64 प्रतिशत वोट पाकर जीत दर्ज की। 1993 में पार्टी को तीन सीट मिली इलाहाबाद दक्षिणी सीट से पं. केशरीनाथ त्रिपाठी ने अपने प्रदर्शन को दोहराया जब कि शहर उत्तरी सीट पर नरेंद्र सिंह गौर ने 40.35 प्रतिशत वोट के साथ जीत हासिल की और चायल सीट से शिवदानी 36.03 प्रतिशत वोट पा
प्रयागराज में 1996 का चुनाव भी भाजपा के लिए उत्साहजनक रहा
1996 का चुनाव भी भाजपा के लिए उत्साहजनक रहा। हंडिया से राकेशधर त्रिपाठी, सोरांव से रंग बहादुर पटेल, इलाहाबाद उत्तरी से नरेंद्र कुमार ङ्क्षसह गौर और शहर दक्षिणी से पं. केशरीनाथ त्रिपाठी विजयी हुए। 2002 में भाजपा के खाते में बारा, शहर उत्तरी और दक्षिणी सीट आई। यहां से क्रमश: उदयभान करवरिया, नरेंद्र ङ्क्षसह गौर व पं. केशरीनाथ त्रिपाठी सफल हुए। 2007 में सिर्फ एक सीट मिली, बारा से उदयभान करवरिया विजई हुए। 2012 में पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी। 2017 में फाफामऊ से विक्रमा जीत मौर्य ने 41.07 प्रतिशत वोट, फूलपुर से प्रवीण पटेल ने 42.24 प्रतिशत, मेजा से नीलम करवरिया ने 37.94 प्रतिशत, इलाहाबाद पश्चिमी से सिद्धार्थनाथ ङ्क्षसह ने 43.40 प्रतिशत, उत्तरी सीट से हर्षवर्धन वाजपेई ने 51.68 प्रतिशत, दक्षिणी सीट से नंद गोपाल गुप्त नंदी ने 52.73 प्रतिशत, बारा से डा. अजय कुमार ने 42.21 प्रतिशत, कोरांव से राजमणि कोल ने 52. 03 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जी
1969 में भारतीय जन संघ ने जीती थी दो सीट
भाजपा का उदय 1980 में हुआ लेकिन इस विचारधारा से जुड़ाव रखने वाले भारतीय जन संघ के नाम से पहचान रखते थे। 1951 के चुनाव में मात्र तीन उम्मीदवार भारतीय जनसंघ ने इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) से उतारे थे। उनमें हंडिया दक्षिण से शारदा प्रसाद, फूलपुर सेंट्रल से नरायण प्रसाद और इलाहाबाद सिटी उत्तरी से वेंकटेश शास्त्री शामिल थे। 1957 में सात सीट पर भारतीय जनसंघ ने प्रत्याशी उतारे थे। सफलता किसी को नहीं मिली। 1969 में इस दल के दो प्रत्याशी विजयी हुए, इनमें इलाहाबाद दक्षिणी सीट से राम गोपाल संड और चायल सीट से कन्हैयालाल सोनकर रहे। 1974 में जनसंघ से मैदान में उतरे इलाहाबाद वेस्ट सीट से तीरथराम कोहली को विजयीश्री मिली थी।
प्रदर्शन दोहराने का लक्ष्य
भाजपा महानगर अध्यक्ष गणेश केसरवानी का कहना है कि श्रीराम मंदिर आंदोलन के समय से भाजपा का जनाधार बढ़ा। राजनीतिक परिस्थितियां प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में बदलती रहीं। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद बड़ा बदलाव हुआ। उसका असर रहा कि 2017 में पार्टी ने सब से बेहतर प्रदर्शन किया। इसे दोहराने का प्रयास 2022 में भी हो
प्रतापगढ़ में 1991 में खुला खाता, जीती पांच सीट
वर्ष 1991 में भाजपा ने प्रतापगढ़ की पांच सीटें जीत कर खाता खोला। बाबागंज विधानसभा से सुरेश भारती, कुंडा से शिवनारायण मिश्रा, विश्वनाथगंज से रमेश बहादुर सिंह, सदर से बृजेश शर्मा, पट्टी से शिवाकांत ओझा विजयी हुए थे। 1993 में सिर्फ दो सीटें मिलीं। इसमें विश्वनाथगंज से रमेश बहादुर सिंह और रानीगंज से लक्ष्मी नारायण पांडेय सफल हुए। 1996 में भी दो सीटें मिलीं। इनमें पट्टी से राजेंद्र प्रताप सिंह, रानीगंज से शिवाकांत शामिल रहे। 2002 में तीन सीट पर परचम लहराया। सदर से हरिप्रताप सिंह, पट्टी से राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह व रानीगंज से शिवाकांत ओझा विधायक चुने गए। 2007 में सिर्फ पट्टी सीट से राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह सफल हुए। 2012 में भी पार्टी कोई सीट नहीं जीत सकी। वर्ष 2017 में विश्वनाथगंज से अपना दल -भाजपा के संयुक्त प्रत्याशी डॉ. आरके वर्मा, सदर से संगमलाल गुप्ता, पट्टी से मोती सिंह, रानीगंज से धीरज ओझा विधायक चुने गए।