यूक्रेन में फाल्‍गुनी की छूटी नाक से खून की धार, नहीं थामी रफ्तार, ऐसे किया संघर्ष

Praveen Upadhayay's picture

RGAन्यूज़

Russia Ukraine News यूक्रेन से अलीगढ़ की दूसरी छात्रा फाल्‍गुनी धीरज भी वतन वापस आ गयी। अपनों को देख उनकी आंखें भर आईं। उसने बताया कि अपनों के बीच आकर साथी थकान दूर हो गयी। उसने अपने बिताए पल को भी शेयर

साहस का परिचय देते हुए फाल्गुनी ने यूक्रेन से भारत तक का सफर पूरा किया।

अलीगढ़,। 26 फरवरी की सुबह पांच बजे इवानो में कफ्र्यू व सायरन की अावाजों के बीच जब जिले की छात्रा फाल्गुनी धीरज ने वतन वापसी के लिए कदम बढ़ाए तो खौफ व हड़बड़ाहट चरम पर थी। मगर जैसे-तैसे बस पकड़ने की बारी आई तो भारी भीड़ के चलते वाहन उपलब्ध नहीं था। 15-20 साथियों ने आनन-फानन में चंदा जुटाकर 700 रिव्निया (यूक्रेन करेंसी-रिव्निया) में प्राइवेट बस कर ली। जाम के चलते बस ने रोमानिया बार्डर से 10 किलोमीटर पहले उतार दिया। अब पैदल चलते हुए ठंड बढ़ती गई तो नाक से खून की धार भी छूट पड़ी। मगर अपनी रफ्तार कम नहीं होने दी। इस अदम्य साहस का परिचय देते हुए फाल्गुनी ने यूक्रेन से भारत तक का सफर पूरा

फाल्गुनी ने बताया कि बाधाएं यहीं खत्म नहीं हुईं। पैदल चलते वक्त पानी का वजन भी ज्यादा लगने लगा तो पानी को बीच रास्ते में ही छोड़ना पड़ा। देर शाम माइनस सात डिग्री तापमान में आक्सीजन की कमी हुई तो नाक से खून भी आया। इसी बीच घर से स्वजन का फोन आया तो कहा पापा यहां सब ठीक है रोमानिया बार्डर पहुंचने वाले हैं। फिर रोमानिया बार्डर पर पहुंचने के बाद रात में बिना खाना-पानी एयरपोर्ट के अंदर जाने का इंतजार करते रहे। सोमवार दिल्ली एयरपोर्ट के बाहर पिता पंकज धीरज, मां काजल धीरज व छोटी बहन हिमाद्री धीरज को गले लगाया तो सारे दर्द व टेंशन दूर हो गई। ममता के आंचल में सिर रखा तो खुशी में आंखों से आंसू छलक पड़े। सोमवार को उन्हाेंने होटल धीरज पैलेस में भी मीडिया से मुखातिब होते हुए अपनी कठिन यात्रा के बारे में बताया।

सुमित ने निकाले तिरंगा के प्रिंट

फाल्गुनी ने बताया कि अलीगढ़ के साथी सुमित यादव ने अपने फ्लैट में पढ़ाई के लिए प्रिंटर रखा था। एंबेसी से पता चला कि तिरंगा लगे वाहनों को नहीं रोका जाएगा। तो सुबह ही प्रिंटर से तिरंगा के प्रिंटआउट निकाले और बस पर चस्पा किए गए। इससे रास्ते में किसी ने नहीं रोका-टोका।

केवल दो सीट, चपलता आई काम

फाल्गुनी ने बताया कि जब वो एयरपोर्ट पर पहुंची तो उनका व उनकी साथी बुलंदशहर की खुशबू का नाम सूची में निचले पायदान पर था। तब उन्होंने वहां मौजूद आफिसर से गुहार लगाई कि फ्लाइट में दो सीट ही बची हैं और वे दो छात्राएं ही हैं, उनका जल्दी घर पर पहुंचना बहुत जरूरी है। इस पर अाफिसर ने उन दोनों को बैठने की अनुमति दे दी। अगर ये फ्लाइट न मिलती तो वे मंगलवार की सुबह तक आ 

आज रात या कल तक आ सकते अन्य छात्र

फाल्गुनी ने बताया कि रोमानिया बार्डर क्रास करने के सफर में उनके साथ जिले की उर्वशी, सुमित यादव व नियत आदि छात्र-छात्राएं भी थे। जो रास्ते में आराम या सुस्ताने के चलते थोड़ा पीछे रह गए और कल रात रोमानिया एयरपोर्ट पर उनकी बोर्डिंग नहीं हो पाई। सोमवार रात तक या मंगलवार की सुबह तक उनके भी जिले में आने की संभावना है।

आंख के सामने फटा बम तो सिहर उठी ऋत्विक

यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे जिले के सारसौल निवासी ऋत्विक वाष्र्णेय ने अपने पिता डा. विश्वमित्र आर्य से वीडियो काल करते हुए जो मंजर बताया उससे सुनने वाले का ही दिल कांप जाएगा। इस मंजर को जिसने सामने देखा हो उसकी हालत का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। ऋत्विक ने बताया कि 52 घंटे से बंकर सीज है। सोमवार को कुछ खाने का सामान लेने के लिए बाहर निकलने काे मिला तो सड़क पर अाधा किलोमीटर दूर अांख के सामने ही बम फट गया। जिसमें कई लोग मर गए। बिना खाना लिए ही वहां से भागकर वापस बंकर में आ गए। ऋत्विक ने कहा पापा आज तो बाल-बाल बच गए। पिता ने बताया कि उन्होंने बेटे को बंकर खुलने पर बाहर निकलने का प्रयास करने व किसी तरह बार्डर तक पहुंचने के लिए बोला है

स्टेशन पर नहीं चढ़ाया ट्रेन पर, रुपये लेकर भागे

स्वर्ण जयंती नगर निवासी सार्थक उपाध्याय ने सोमवार रात अपने पिता अमोद उपाध्याय को बताया कि बेटा अपने साथियों के साथ कीव से निकलकर रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो उन लोगों को ट्रेन में नहीं चढ़ने दिया गया। कई घंटे स्टेशन पर फंसे होने के बाद ट्रेन में चढ़ने का मौका मिला तो उनको रोक दिया गया। एंबेसी वाले रुपये लेकर बगैर उनको ट्रेन में चढ़ाए वहां से गायब हो गए। अब वे सभी विद्यार्थी वापस कीव स्थित अपने फ्लैट की तरफ जाने को मजबूर हैं। जहां रूस ने लगातार बमबारी शुरू कर दी है। बेटे व उसके साथियों को कुछ समझ में नहीं आ रहा कि वे क्या कदम उठाएं? पिता ने प्रशासन व सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.