

RGAन्यूज़
Russia-Ukraine War News रूस- यूक्रेन युद्ध को लेकर यूएन में हुई वोटिंग पर विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का रुख बिल्कुल सही है। भारत ने न तो युद्ध का समर्थन किया और न ही रूस के खिलाफ वोटिंग की
यूक्रेन-रूस युद्ध अब भयावह दौर में पहुंच चुका है
बरेली,। भारत किसी भी गुटों में न रहकर अपने फैसले स्वयं करने में समर्थ है। किसी भी दबाव में न आकर अपने फैसले को अपने हितों को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्र नीति का पालन करता है। यह बातें रक्षा एवं सैन्य अध्ययन विभाग बरेली कालेज द्वारा में शुक्रवार को आयोजित परिचर्चा जिसका मुख्य विषय भारतीय सैन्य परिवेश में रूस-यूक्रेन का युद्ध विशेष संदर्भ में कही गई। प्राचार्य डा. अनुराग मोहन एवं डा. एमपी सिंह सैन्य अध्ययन विभागाध्यक्ष के साथ चीफ प्राक्टर डा. एसपी मौर्य ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभा
परिचर्चा में डा. एस त्रिपाठी ने रूस-यूक्रेन संबंधों की बढ़ती खाई के बारे में अपने विचार रखे। विभागाध्यक्ष डा. एमपी सिंह ने भारत की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश होने के साथ शांति प्रिय देश भी है। भारत को अपनी स्थिति पता है कि उसे कहां, कब और क्या करना है। भारत की नीति उसे अन्य देशों की स्थितियों से भिन्न बनाती है। प्राचार्य डा. अनुराग मोहन ने भारत की तटस्थता की नीति को सही ठहराया और यूक्रेन से भारतीयों को जल्द से जल्द वापस लाने की मुहिम को और तेजी से बढ़ाने की बात कही। डा. वीपी सिंह ने कविता के माध्यम से रूस-यूक्रेन युद्ध को सहज शब्दों में ब
डा. नीलम गुप्ता, डा. यशार्थ गौतम, डा. विकास शर्मा, डा. रूबी सिद्दीकी, डा. सूर्य प्रकाश राव आदि शिक्षकों ने रूस-यूक्रेन युद्ध को गंभीरता से लेते हुए युद्ध के आर्थिक व्यापारिक, राजनैतिक, सामरिक एवं सामाजिक परिणामों पर अपने विचारों को व्यक्त किया। मंच का संचालन करते हुए डा. नीरजा अस्थाना ने अमेरिका के नाटो की भूमिका को संदिग्ध बताया।