अब और महंगा हुआ घर बनाना, 20 दिन में 12 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गए सरिया के दाम

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RGAन्यूज़

सरिया पर छाई महंगाई की वजह से व्यापार बहुत कम रह गया है। बाजार में दुकानदार ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं लेकिन ग्राहक गायब हैं। सरिया पर छाई महंगाई की वजह से दुकानदार भी महंगा माल खरीदने में रुचि नहीं ले रहे

सरिया की कीमत बढ़ने से मकान की लागत भी बढ़ गई है

बरेली,। बीस दिन पहले 63 से 65 रुपये किलो बिकने वाले सरिया के रेट दस से 12 रुपये प्रति किलो बढ़ गए हैं। सरिया महंगी होने की वजह से इसके खरीदार बाजारों में बेहद कम आ रहे हैं। अधूरे निर्माण कार्य को ठेकेदार मजबूरी वश पूरा करा रहे हैं, जबकि नये निर्माण कार्य शुरू करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। इससे सस्ते मकान का सपना संजोने वाले लोगों का इंतजार और बढ़ गया है। जिले में जहां दस हजार टन सरिया की खपत प्रतिमाह हो जाती है, उसमें काफी गिरावट आई है। इसके पीछे कुछ विक्रेता रूस और यूक्रेन को महंगाई का जिम्मेदार मान रहे हैं तो कुछ जमाखोरी को। सरिया पर आई इस महंगाई के बारे में जानते हैं, बरेली के थोक एवं फुटकर सरिया विक्रेताओं के मन की

क्‍या बोले दुकानदार: सरिया पर आई इस महंगाई से बाजार पूरी तरह से चौपट हो गया है। दुकानों पर ग्राहक नजर नहीं आ रहे हैं। यह सब सट्टा बाजार की हेरा-फेरी की वजह से तेजी हुई। डीजल की वजह से दामों में कोई अंतर नहीं आया है। ऐसे में सरिया के रेट बढ़ने पर डीजल की महंगाई को भी दोषी नहीं ठहरा सकते हैं।- अरविंद कुमार, थोक सरिया

बड़ी कंपनियां सरिया के रेट बढ़ा रही हैं। उनकी देखा-देखी छोटी कंपनियों ने भी सरिया के रेट काफी हद तक बढ़ा दिए हैं। इससे सरिया में करीब 10 रुपये की महंगाई बीते 20 दिनों में आ गई है। इस वजह से बाजार में सरिया की डिमांड काफी कम हो गई है। इससे दुकानदारों को नुकसान हो रहा है।- प्रकाश चंद्र अग्रवाल, फुटकर सरिया 

कबाड़ा बाजार में बिल्कुल उपलब्ध नहीं है। ज्यादातर कबाड़ यूक्रेन और रूस जैसे देशों से ही आता था। कोयले के दाम भी बढ़ गए हैं। इस वजह से लोकल बाजार में भी सरिया के दाम काफी हद तक बढ़ गए हैं। करीब 20 दिनों में 10 से 12 रुपये किलो की तेजी आ गई है।- नवीन गोयल, फुटकर सरिया

सरिया पर छाई महंगाई की वजह से व्यापार बहुत कम रह गया है। बाजार में दुकानदार ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं लेकिन ग्राहक गायब हैं। सरिया पर छाई महंगाई की वजह से दुकानदार भी महंगा माल खरीदने में रुचि नहीं ले रहे हैं। क्योंकि ग्राहक सरिया सस्ता होने का इंतजार कर रहा है। - सतपाल सिंह,

बड़े प्रोजेक्ट में होती है ज्यादा खपत: थोक दुकानदारों का कहना है कि सरिया की सबसे ज्यादा खपत बड़े प्रोजेक्टों में होती हैं। इनमें बरेली में बनने वाले ओवरब्रिज, बड़े भवनों के निर्माण कार्य, सड़कों के किनारे बनाए जा रहे डिवाइडर, घरों के निर्माण में भी सबसे ज्यादा सरिया की खपत की जाती है।

क्रेडाई सचिव बोले, सरिया महंगी होने से निर्माण कार्य प्रभावित : क्रेडाई सचिव सुनील गुप्ता का कहना है कि सरिया महंगी होने से निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। बीते डेढ़ साल में सरिया 45 से 75 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है। 30 रुपये किलो का अंतर आने से जिन साइट पर काम चल रहा है उनकी लागत काफी बढ़ गई है।

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