गरुणजी पर विराजमान होकर निकले भगवान रंगनाथ, ब्रज में धूमधाम से मनाई जा रही दक्षिण भारतीय परंपरा

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Rangnath Temple शाम को छोटी आतिशबाजी का ठाकुरजी ने लिया आनंद। रंगजी मंदिर के ब्रह्मोत्सव में तीसरे दिन मंगलवार की सुबह भगवान रंगनाथ स्वर्ण गरुण वाहन पर विराजमान होकर निकले। भगवान रंगनाथ को वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य सोने के गरुणजी पर विराजमान कराया

भगवान रंगनाथ को वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य सोने के गरुणजी पर विराजमान कराया।

आगरा,। दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में चल रहे ब्रह्मोत्सव में मंगलवार की सुबह ठा. रंगनाथ गरुणजी पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देने मंदिर से बाहर निकले, तो भक्तों के जयकारे से वातावरण गूंज उठा। मंदिर में चल रहे ब्रह्माेत्सव में शामिल होने और भगवान के नित नए वाहनों पर विराजमान होने के साथ दर्शन का लाभ लेने को सुबह से ही भक्त उत्सुक नजर आ रहे

मंदिर के बाहर भक्तों की भीड़ सुबह से ही जुट रही है। रास्ते में भगवान का स्वागत और आरती उतारकर प्रसादी अर्पित करने वाले भक्तों की कतार लग गई। शाम को जब भगवान सोने के हनुमानजी पर विराजमान होकर नगर भ्रमण को निकले और बड़ा बगीचा से जब वापस मंदिर रवाना हुए तो इससे पहले आतिशबाजी का आनंद लिया। रंगजी मंदिर के ब्रह्मोत्सव में तीसरे दिन मंगलवार की सुबह भगवान रंगनाथ स्वर्ण गरुण वाहन पर विराजमान हो

सुबह भगवान रंगनाथ को वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य सोने के गरुणजी पर विराजमान कराया। इसके बाद भगवान निज मंदिर से निकलकर बारहद्वारी स्थित मंडप के सामने पहुंचे। जहां पुजारियों ने सस्वर पाठ किया। करीब 15 मिनट तक पाठ करने के बाद सवारी ने बड़े बगीचा के लिए रवाना हुई। बैंडबाजों की मधुर धुन और दक्षिण भारत की परंपरागत शहनाई की धुन के बीच सवारी बड़े बगीचा पहुंची। इस दौरान भक्तों ने स्थान स्थान पर रंगोली सजाकर और आरती उतारकर भगवान को प्रसाद अर्पित किया। मंदिर सेवायत पुरुषोत्तम स्वामी ने बताया, पक्षीराज गरुणजी वेदों की आत्मा है। उनके पंखों से सामवेद का गायन होता है। गरुणजी पर वेद वैद्य भगवान विराजते हैं। इसी वाहन पर बैठकर प्रभु ने गजराज को ग्राह के फंदे से मुक्त कराया था। गरुणजी सेवा एवं भक्ति के प्रतीक हैं। इस सवारी के दर्शन का उद्देश्य प्राणी मात्र को प्रभु का स्मरण कराकर उसका ध्यान प्रभु भक्ति की ओर केंद्रित करना है। प्रभु का गरुणारूढ़ चिंतन ही मनुष्य को हनुमानजी की भांति भक्ति भाव प्रदान करने वाला है। भक्ति की भूमि वृंदावन में इस सवारी के दर्शन से मनुष्य प्रभु की अहैतुकी कृपा प्राप्त कर भक्ति की ओर उन्मुख होता है। शाम को ठाकुरजी सोने के हनुमानजी पर विराजमान होकर नगर भ्रमण को निकले और रात में जब मंदिर के लिए रवाना हुए तो इससे पहले बड़ा बगीचा ग्राउंड पर छोटी आतिशबाजी का आयोजन हुआ। ठाकुरज

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