अनूठी आस्था, कंपनी पार्टनर बने ठा. बांकेबिहारी, दिल्ली के उद्योगपति ने खाते में भेजी बड़ी रकम

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RGAन्यूज़

Banke Bihari Temple कंपनी पार्टनर बने ठा. बांकेबिहारी के खाते में भेजे ढाई करोड़। दिल्ली के उद्योगपति ने अपनी कंपनियों में ठाकुरजी को बना रखा है हिस्सेदार। कारोबारी ने अपना नाम गुप्त रखने की अपील की है। इसलिए प्रबंधन कारोबारी का नाम नहीं उजागर कर 

Banke Bihari Temple: उद्योगपति ने अपनी कंपनियों में ठाकुरजी को बना रखा है हिस्सेदार।

आगरा,। ठा. बांकेबिहारी के भक्त अपनी भावना से ठाकुरजी को समर्पित रहते हैं। हजारों भक्त हैं, जो हर महीने नियमित रूप से ठाकुरजी की शरण में पहुंचकर उनका आशीर्वाद लेते हैं, तो बहुत से भक्त समय-समय पर मंदिर में दीवार और दरवाजे पर सोने-चांदी की परत चढ़वाकर अपनी भावना व्यक्त करते हैं। ऐसे भी कारोबारी हैं, जिन्होंने खुद ठाकुरजी को अपने कारोबार में पार्टनर बना रखा है। वित्तीय वर्ष के अंत में लेखाजोखा तैयार होने पर जितनी धनराशि ठाकुरजी के हिस्से आती है, उसे मंदिर के खाते में अर्पित कर देते हैं। ऐसे ही एक श्रद्धालु ने अपनी कंपनी में पार्टनर बनाए ठाकुर बांकेबिहारी को ढाई करोड़ रुपये भेजे

ठा. बांकेबिहारी की महिमा निराली है। वे भक्त पर कृपा करते हैं, तो भक्त भी उनकी कृपा को पाकर खुद को कृतार्थ समझते हैं। दिल्ली के ऐसे ही एक कारोबारी हैं, जिनकी पांच फर्म अलग-अलग संचालित हो रही हैं। कारोबारी ने इन सभी फर्मों में कुछ अंश का पार्टनर बना रखा है। वित्तीय वर्ष के अंत में कंपनियों को जो लाभ होता है, उसका तय फीसद ठाकुर जी के हिस्से में आता है। वह उन्हें अर्पित जरूर करता है। इस साल एक अप्रैल को एक कारोबारी ने अपनी सभी फर्माें के लाभ का अंश जो ठाकुरजी के हिस्से का था, ढाई करोड़ रुपये ठा. बांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट में चेक के जरिए जमा कराया है। मंदिर प्रबंधन ने बताया कि कारोबारी ने अपना नाम गुप्त रखने की अपील की है। इसलिए प्रबंधन कारोबारी का नाम नहीं उजागर कर रहा है

अनूठे भक्त

बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऐसे हैं, जिन्होंने ठाकुर बांकेबिहारी को अपनी कंपनी में पार्टनर बनाया है। समय-समय पर प्राफिट का एक निश्चित हिस्सा आराध्य के श्रीचरणों में अर्पित करते हैं।

-बरसाना स्थित राधारानी मंदिर, वृंदावन के कात्यायनी मंदिर में भी कई श्रद्धालु कारोबार में सहभागी मान लाभ का अंश नियमित रूप से समर्पित करते हैं

-कुछ श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य को कंपनी में मालिक भी बनाया है, लेकिन अंशदान करते वक्त अपना नाम गोपनीय रखते ह

-दिल्ली के खारी बावली बाजार से रोज रात में एक श्रद्धालु सारे व्यापारियों के दुकान की चाबियां लेकर चलता है, सुबह ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर की देहरी पर चाबी अर्पित की जाती हैं और फिर चाबियां लेकर दिल्ली जाता है। इसके बाद ही दुकान खुलती हैं।

-ठाकुर बांकेबिहारी को ढाई करोड़ अर्पित करने वाले व्यापारी का आटो पार्ट्स का

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