किसानों को किया जागरूक, चूहों पर नियंत्रण के लिए बताए गए उपाय

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RGA न्यूज़ संवादाता डॉक्टर मुदित प्रताप सिंह 

जनपद बरेली मीरगंज _  संचारी रोगों की रोकथाम को लेकर चलाए जा रहे अभियान के तहत विकास खंड मीरगंज में कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें संक्रामक रोगों की रोकथाम पर चर्चा की गई। संचारी रोगों के प्रसार में चूहों तथा छछूंदर का भी बहुत योगदान होता है इसलिये संचारी रोगों की रोकथाम हेतु इन पर प्रभावी नियंत्रण आवश्यक है। उन्होंने जनपदवासियों को सलाह दी है प्रभारी कृषि रक्षा इकाई मीरगंज श्यामवीर सिंह ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार जिले में 30 अप्रैल तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत विकासखंड मीरगंज में गोष्ठी का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि संचारी रोगों की रोकथाम में अन्य कारणों के साथ-साथ चूहे और छछूंदर के प्रभारी नियंत्रण की आवश्यकता है। वेक्टर जनित रोग जे.ई. एवं ए.ई.एस. के संचार में चूहे और छछूंदर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लिहाजा चूहे और छछूंदर पर नियंत्रण कर संचारी रोगां का फैलाव से रोका जा सकता है। उन्होंने लोगों को जागरूक करते हुए सलाह दी कि चूहे और छछूंदर को नियंत्रित करने के लिये अन्न भंडार पक्का तथा बखारी में करना चाहिए ताकि उन्हें भोज्य पदार्थ सुगमता से उपलब्ध न हो। चूहेदानी का प्रयोग करके चूहों को मार देने से इनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है। चूहा नाशक रसायन जिंक फास्फाइड की 1 ग्राम मात्रा को 48 ग्राम भुने चने तथा 1 ग्राम सरसों के तेल के साथ मिलाकर चारा तैयार करें, उसे चूहों के बिल के आस पास रख दें। एल्यूमिनियम फास्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में रखकर बिल को गीली मिट्टी से बंद कर देने से दवा से निकलने वाली फास्फीन गैस से चूहे मर जाते हैं। मरे हुए चूहों को खुले में फेकने के बजाय उन्हें एकत्र कर जमीन में दबा देना चाहिये। गोष्ठी के अन्त में प्रभारी कृषि रक्षा इकाई श्यामवीर ने कृषकों का आभार व्यक्त किया।

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