धरती की कोख सींचने को तैयार हो रहे दो इंटेक वेल, प्रयागराज आएगा डार्क जोन से बाहर

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RGAन्यूज़

world ground water day पानी की लगातार हो रही बर्बादी से प्रयागराज शहर डार्क जोन में चला गया है। इसके अलावा बहरिया चाका और भगवतपुर ब्लाक क्रिटिकल तथा बहादुरपुर धनूपुर होलागढ़ मऊआइमा प्रतापपुर सहसों सैदाबाद श्रृंगवेरपुर ब्लाक सेमी क्रिटिकल श्रेणी में आ गए है

पीने योग्य पानी का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है।

  पीने योग्य पानी का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है। पानी की लगातार हो रही बर्बादी से प्रयागराज शहर डार्क जोन में चला गया है। इसके अलावा बहरिया, चाका और भगवतपुर ब्लाक क्रिटिकल तथा बहादुरपुर, धनूपुर, होलागढ़, मऊआइमा, प्रतापपुर, सहसों, सैदाबाद, श्रृंगवेरपुर ब्लाक सेमी क्रिटिकल श्रेणी में आ गए हैैं।

शहर के तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराकर उसमें कराना होगा वर्षा जल 

शहरी क्षेत्र में रोज 322 एमएलडी यानी लगभग तीन करोड़ 22 लाख लीटर भूगर्भ जल का दोहन होता है। ये जल 664 नलकूपों से निकाला जाता है। बढ़ती आबादी के चलते भूजल के दोहन के बढऩे की ही आशंका है। ऐसे में शहर को डार्क जोन से निकालने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर जोर देना होगा। वैसे तो सभी सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है मगर जिले के लगभग सात हजार सरकारी व अद्र्ध सरकारी भवनों में मात्र 480 भवनों में ही अब तक रूफ टाप रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लग सका है। इस पद्धति में बरसात केपानी को छत से उतारा जाता है, ताकि भूगर्भ जलस्तर में सुधार हो सके। लघु सिंचाई विभाग को रूफ टाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य कराए जाने की जिम्मेदारी दी गई है मगर विभाग भी उसी रफ्तार से चल रहा है जिस गति से सरकारी भवनों के नोडल विभाग चल रहे हैैं। जबकि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में सामान्य तौर पर एक लाख रुपये

-सभी सरकारी और अर्द्ध सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का हो जोर

हार्वेस्टिंग सिस्टम के साथ ही गंगा और यमुना में इंटेक बेल लगाने होंगे। यमुना में 677 करोड़ और गंगा में 1394 करोड़ रुपये की लागत से इंटेक बेल की दो परियोजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैैं। अब इनका तेजी से निर्माण कार्य शुरू कराया जाए तो भूगर्भ जल के दोहन पर नियंत्रण हो सकेगा। यमुना में 54 एमएलडी तो गंगा में 117 एमएलडी क्षमता के इंटेक बेल प्रस्तावित हैैं।

इन प्रमुख भवनों में लगा हार्वेस्टिंग सिस्टम

विकास भवन, इंदिरा भवन, संगम पैलेस, एमएनएनआइटी, कालिंदीपुरम स्थित प्रधानमंत्री आवास योजना, मंगल बिहार, वसुधा बिहार व जागृति विहार आवास योजना, इंडियन बैैंक सिविल लाइंस, एसबीआइ मुख्य शाखा, अरेवा नैनी, बेथनी कान्वेंट नैनी, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड जार्जटाउन व झूंसी, सभी ब्लाक मुख्यालय, 30 पंचायत भवन, जसरा पालीटेक्निक

यहां नहीं लग सका रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

पुलिस कार्यालय, पुलिस लाइन, थाना व चौकी, तहसील मुख्यालय, सीएचसी, नगर पंचायत मुख्यालय, जिला पंचायत, लोक निर्माण विभाग, आइटीआइ पुरुष व महिला, पालीटेक्निक हंडिया, होम्योपैथिक मेडिकल कालेज, एनसीजेडसीसी, सीएमओ कार्यालय, डीआइओएस, बीएसए, आबकारी विभाग, टीबी अस्पताल, संयुक्त शिक्षा निदेशक मंडल, मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय, उच्च शिक्षा निदेशालय, महिल

खास बातें

-1394 करोड़ की लागत से गंगा में इंटेक वेल का है प्रस्ताव

-677 करोड़ रुपये से यमुना में बनाया जाएगा इंटेक वेल

-03 करोड़ 22 लाख लीटर भूगर्भ जल का रोज दोहन होता है शहर में

-664 नलकूपों से शहरी क्षेत्र में निकाला जाता है भूगर्भ का जल

डीएम का यह है कहना

सभी सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है। जिन भवनों में सिस्टम नहीं है, उन्हें नोटिस भेजा जाएगा। इंटेक वेल का कार्य जल्द शुरू कराने के लिए कोशिशें तेज हो गई हैैं

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