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RGA News
लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2019) से ठीक पूर्व पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सांसद सौमित्र खां के पाला बदलने से ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) सकते में हैं। संकट सिर्फ सौमित्र के जाने तक सीमित नहीं है। आशंका जताई जा रही है कि करीब आधा दर्जन सांसद भाजपा के संपर्क में हैं। अनुपम हाजरा, सुश्री शताब्दी रॉय आदि के नामों की तो बाकायदा चर्चा भी शुरू हो चुकी है।
तृणमूल कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल की 42 में से 34 सीटें लेकर शानदार जीत हासिल की थी। लेकिन भाजपा ने इस बार उसके सामने मुश्किल खड़ी कर रखी है। भाजपा एक तरफ जहां मतों के ध्रुवीकरण के जरिए ममता पर शिकंजा कस रही है। वहीं दूसरी तरफ तृणमूल सांसदों को भी तोड़ रही है। दो साल पूर्व तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले मुकुल राय इस अभियान में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसलिए यदि आने वाले दिनों में कुछ सांसद और ममता का साथ छोड़ते हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
तृणमूल कांग्रेस अभी तक राज्य में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात पर कायम है। लेकिन भाजपा की चुनौती और पार्टी में तोड़फोड़ से तृणमूण पर गठबंधन का दबाव बढ़ सकता है। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व तृणमूल से गठबंधन का पक्षधर है लेकिन राज्य इकाई इसके खिलाफ है। खुद ममता बनर्जी इसके पक्ष में नहीं हैं क्योंकि केंद्र में किसी संभावित गठबंधन में वह प्रमुख भूमिका निभाना चाहती हैं।
कांग्रेस से चुनावी गठबंधन में असल दिक्कत यह है कि वह किसी संभावित विपक्षी गठबंधन की नेता की दौड़ से बाहर हो जाएंगी और उन्हें कांग्रेस का समर्थन करना पड़ेगा। लेकिन पार्टी में तोड़फोड़ बड़ी होती तो फिर गठबंधन के लिए ममता को बाध्य होना पड़ सकता है। कांग्रेस के साथ पूर्व में भी वह मिलकर चुनाव लड़ चुकी हैं।