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Government land fraud कोल तहसील में सरकारी जमीन के फर्जीवाड़े का मामला प्रकाश में आया है। पूर्व के अफसरों के साथ मिलीभगत करके 376 बीघा जमीन के 29 पट्टे बांट दिए गए। अब सभी पट्टों को खारिज कर राज्य सरकार के खाते में दर्ज की जा
कोल तहसील के मिर्जापुर सिया में बेशकीमती सरकारी जमीन के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है।
अलीगढ़,: कोल तहसील के मिर्जापुर सिया में बेशकीमती सरकारी जमीन के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। कुछ लोग ने पूर्व के अफसरों की मिलीभगत से कागजों में ही 376 बीघा जमीन के 29 पट्टे बांट दिए गए । वित्तीय वर्ष 1982-83 में यह घपला हुआ। प्रधान की शिकायत पर सीएम कार्यालय से जांच के आदेश हुए। इसके बाद kol tehsil की राजस्व टीम ने जांच की। इसमें सामने आया कि तत्कालीन ग्राम प्रधान के साथ ही अन्य जिले के निवासी व सरकारी कर्मियों को भी पट्टों का आवंटन दिया गया है। सभी पट्टों को खारिज कर जमीन State government के खाते में दर्ज की जा रही है।
दो महीने पहले भेजा शिकायती पत्र : mirzapur sia की Village head Shama Parveen ने दो महीने पहले शासन स्तर पर एक complaint letter भेजा था। इसमें आरोप था कि 1982-83 में ग्राम पंचायत में सरकारी जमीन के आवंटन में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। तहसील में भी कोई आवंटन पत्रावली नहीं है, लेकिन कुछ लोगों ने कागजों में ही 29 लोगों के आवंटन दिखा दिए गए हैं। इसी के आधार पर इन लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से इस शिकायती पत्र के आधार पर जांच के आदेश दिए गए। जांच के दौरान कोल तहसील की टीम को अभिलेखों ने चौंका दिया। पंचायत की तरफ से किसी भी पट्टे का आवंटन नहीं हुआ। तहसील में भी इस आवंटन के दस्तावेज नहीं है, लेकिन इसके बाद भी कागजी पट्टे कर दिए
बाहरी लोगों को भी दिए गए पट्टे : राजस्व टीम को जांच में बड़ी अनियमितताएं मिली हैं। सामने आया है कि 29 आवंटियों में अधिकतर ग्राम पंचायत के बाहर के रहने वाले हैं। एटा तक के लोगों को यहां आवंटन दर्शा दिया गया है। कुछ लोग ऐसे हैं, जो सरकारी कर्मचारी हैं। बिजली विभाग व एएमयू में कार्यरत हैं, लेकिन इनके नाम भी पट्टे दर्शा दिए गए।
38 करोड़ है कीमत : मिर्जापुर सिया में फिलहाल 10 लाख रुपये प्रति बीघा के हिसाब से जमीन के सर्किल रेट हैं। ऐसे में 376 बीघा जमीन की कीमत 38 करोड़ से अधिक है। इस जमीन को अब राज्य सरकार के खाते में निहित किया जा रहा है।
सिस्टम की भी तय हो जिम्मेदारी : शिकायत के बाद राजस्व टीम ने पूरा मामला खोल दिया है। अब जमीन भी सरकारी घोषित हो रही है, लेकिन सवाल यह है कि फर्जी आवंटन पर इतने समय बाद भी सिस्टम क्यों चुप रहा। अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
इनका कहना है
मिर्जापुर सिया का मामला काफी गंभीर है। कागजों में ही 29 लोगों को 376 पट्टे आवंटित कर दिए हैं। जांच पूरी कर ली गई है। अब पट्टों को खारिज करने की कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही आवंटियों को बेदखल किया जाएगा।
- डा. गजेंद्र पाल सिंह, तहसीलदार कोल
सरकारी जमीन को बचाने के लिए मेरे पति बाबू खा ने बहुत संघर्ष किया था। अब वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी मेहनत से ही यह सरकारी जमीन बच पाई है। तहसील से फर्जी पट्टों को निरस्त किया जा रहा है।
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