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RGA News कोलकाता
तृणमूल कांग्रेस की कोलकाता में आज होने वाली महारैली आने वाले दिनों में विपक्षी राजनीति की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। रैली के जरिये जिस प्रकार से ममता विपक्षी नेताओं को एकजुट कर रही हैं, उससे विपक्षी एकता तो प्रदर्शित होती ही है। साथ ही बनर्जी द्वारा खुद को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र बिन्दु में रखने की कोशिश भी झलकती है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह रैली कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एक ओर इसके जरिये तृणमूल कांग्रेस राज्य के भीतर अपनी ताकत का अहसास कराएगी वहीं राष्ट्रीय राजनीति में भी यह संदेश देगी कि आम चुानव के बाद केंद्र में बनने वाले किसी संभावित मोर्चे में उसकी भूमिका अहम होने जा रही है।
दरअसल, इस समय विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशें कई स्तरों पर हो रही हैं। कांग्रेस की तरफ से ऐसी कोशिशें की जा रही हैं। चंद्रबाबू नायडू एवं ममता बनर्जी भी इस अभियान में समय-समय पर अपनी तरफ से पहल करते रहे हैं। जबकि तेलंगाना राष्ट्र समिति के केसीआर राव भी अपनी अलग मुहिम चला रहे हैं। उनकी मुहिम ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि वह कांग्रेस से भी दूरी बनाए हुए हैं। इधर, सपा-बसपा ने अलग गठबंधन बनाकर गैर कांग्रेसी मुहिम को और हवा दी है।
अभी तक विपक्ष की राजनीति में कांग्रेस के सहयोगी दलों, ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू को एक ईकाई माना जा रहा है। जबकि टीआरएस एक अलग पक्ष के रूप में उभरा है जो गैर कांग्रेसी मोर्चे की वकालत करता है। बीजद, सपा-बसपा चूंकि भाजपा और कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहे हैं, इसलिए उन्हें टीआरएस के ज्यादा करीब माना जा रहा है।
विपक्षी राजनीति में अभी भूमिका साफ नहीं
इन सबके बीच अभी तक विपक्षी राजनीति में ममता की भूमिका स्पष्ट नहीं है। क्योंकि वह कभी कांग्रेस के साथ खड़ी दिखती हैं तो कभी अलग खड़ी होने की कोशिश करती हैं। ममता की रैली में जहां कांग्रेस, यूपीए के घटकों समेत विपक्ष के कई नेता शामिल हो रहे हैं, वहीं टीआरएस, बीजद, वाईएसआर जैसे दलों ने इस रैली से दूरी बनाकर संकेत दे दिए हैं कि उनका मोर्चा गैर कांग्रेसी है। इसलिए आगे के लिए यह माना जा रहा है कि इस रैली के बाद ममता अपनी ताकत और स्वीकार्यता को तौलकर अपने रुख को और स्पष्ट कर सकती हैं। जिससे आने वाले दिनों में विपक्षी राजनीति में यह स्पष्टता आ सकती है कि कौन विपक्ष के साथ है और कौन गैर कांग्रेसी मोर्चे के साथ है। और खुद ममता बनर्जी कहां खड़ी होंगी?