![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
RGA News,लखनऊ
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक दलों के बीच तीन मोर्चे आकार लेने लगे हैं। यूपी की चुनावी बिसात पर सत्तारूढ़ भाजपा के मुकाबले सपा-बसपा-रालोद गठबंधन तो है ही, कांग्रेस भी मजबूती से लड़ने को तैयार है। वह छोटे दलों को साथ लेने की कोशिश में है।
कांग्रेस और सहयोगी
कांग्रेस फिलहाल तो यूपी में अकेले सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है, लेकिन कुछ क्षेत्रीय दलों से उसकी बातचीत भी चल रही है। अभी हाल ही में सपा से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाली पूर्व मंत्री शिवपाल यादव कांग्रेस के साथ गठंबधन की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। शिवपाल यादव के नेतृत्व में बनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को चुनाव चिह्न भी आवंटित हो चुका है। उनके संपर्क में कई छोटे दल हैं। इन दलों के साथ वह संयुक्त रैली भी कर चुके हैं। संभव है कि इन सभी दलों को साथ लेकर वह कांग्रेस के साथ गठबंधन करें।
बसपा, सपा, रालोद और अन्य
प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को केंद्र में बनने वाली सरकार के लिए बेहद अहम माने जाने के कारण भाजपा की राह रोकने के लिए सपा-बसपा ने भी गठबंधन कर लिया है। सपा-बसपा ने 38-38 सीटों पर खुद लड़ने, अमेठी व रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए छोड़ देने और दो सीटें अन्य सहयोगी को देने का ऐलान करते हुए गठंबधन किया था। इस घोषणा के बावजूद सपा अभी रालोद, पीस पार्टी व निषाद पार्टी जैसे दलों के संपर्क में हैं। वह रालोद को दो से ज्यादा और पीस पार्टी व निषाद पार्टी को एक या दो सीटें दे सकते हैं। इस तरह प्रदेश में स्पष्ट तौर पर तीन मोर्चे चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
भाजपा और सहयोगी
भाजपा एनडीए की अगुवाई करती है तो कांग्रेस यूपीए की। यूपी में भाजपा के साथ एनडीए के घटक के रूप में अपना दल (सोनेलाल) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ही प्रमुख है। अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल केंद्र सरकार में मंत्री हैं तो उनकी पार्टी के विधायक प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, जबकि सुभासपा प्रदेश सरकार में शामिल है। सुभासपा के साथ भाजपा का गठबंधन वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में हुआ था। अब लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ अन्य क्षेत्रीय दल भाजपा के संपर्क में हैं। संभव है कि चुनाव में टिकटों की घोषणा के समय तक कुछ अन्य छोटे क्षेत्रीय दलों को भी भाजपा एनडीए में ले ले।