उत्तराखंड: सरकारी आवासों का किराया चार गुना तक बढ़ा​

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RGA News टीम, देहरादून

राज्य संपत्ति विभाग की कॉलोनियों के सरकारी आवासों का किराया चार गुना बढ़ा दिया गया है। वहीं, इस बढ़ोतरी ने आवास भत्ते के कम बढ़ने से नाराज कर्मचारियों के गुस्से को और बढ़ा दिया है। सभी कर्मचारियों ने इसे सरकार की मनमानी करार दिया। राज्य संपत्ति विभाग ने अपने नियंत्रण में आने वाली सरकारी कॉलोनियों के आवास के फ्लैट के किराये को चार गुना बढ़ाने का विधिवत आदेश जारी कर दिया है। नये किराये के अनुसार, टाइप चार के आवास का जो किराया अभी तक 420 रुपये था, वो अब बढ़कर 1680 रुपये महीना हो गया है। टाइप तीन में 210 रुपये का किराया 840 रुपये, टाइप दो का किराया 120 रुपये से बढ़कर 480 रुपये हो गया है।  इसी तरह से बाकी सभी श्रेणियों में भी किराया चार गुना तक बढ़ा है। राज्य संपत्ति विभाग ने यह फैसला ऐसे समय में किया है, जब राज्यभर के कर्मचारी संगठन सातवें वेतनमान में आवास भत्ता कम बढ़ाने का आरोप सरकार पर लगा रहे हैं। ऐसे में इस बढ़े हुए किराये ने कर्मचारी संगठनों के विरोध को और भड़का दिया है।
कर्मियों के बजट से चमक रहे मंत्रियों के बंगले
राज्य संपत्ति के आवासों में रहने वाले कर्मचारी अपने आवासों की जर्जर स्थिति से परेशान हैं। सचिवालय संघ अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि कर्मचारियों के वेतन से कटने वाले मेंटनेंस चार्ज विभाग मंत्रियों के बंगलों पर खर्च कर देते हैं। हर सरकार में मंत्री अपने बंगलों को तुड़वा कर नया बनवा देते हैं, जो नई सरकार आने पर फिर टूट जाते हैं। इसके लिए राज्य संपत्ति से प्रस्ताव मंजूर नहीं कराए जाते। काम होने के बाद सीधे भुगतान की फाइल आती है। कर्मचारी आवास के टूटे दरवाजे, टपकती छतों को ठीक कराने को चक्कर काटते रह जाते हैं। जबकि सरकारी महकमा एक चिटकनी तक नहीं लगाता।
आर्थिक नुकसान पहुंचाया
आवास भत्ता पहले ही न्यूनतम बढ़ा कर कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। अब राज्य संपत्ति विभाग ने सरकारी आवास का किराया चार गुना बढ़ाकर कर्मचारियों की जेब पर सीधे डाका डालने का काम किया है। एक साथ चार गुना बढ़ोतरी का जोरदार विरोध किया जाएगा।
दीपक जोशी, अध्यक्ष उत्तराखंड सचिवालय संघ

दुरुस्त की जाएंगी व्यवस्थाएं
बढ़े हुए किराये से राज्य संपत्ति की कॉलोनियों की व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी। इन आवासों को सही करने के जितने भी प्रस्ताव आएंगे, उन पर तेजी से काम होगा। कर्मचारियों के जितने भी प्रस्ताव अभी तक आए हैं, उन पर गंभीरता से न सिर्फ विचार किया जा रहा है, बल्कि काम भी शुरू कराया जा रहा है।
बंशीधर तिवारी, राज्य संपत्ति अधिकारी

 

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