हिंदी रंगमंच दिवस पर बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरुद्ध नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम

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RGAन्यूज़ अवधेश शर्मा बरेली

बरेली- हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स और ऑल इंडिया कल्चरल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में हिंदी रंगमंच दिवस पर बाल विवाह पर आधारित नाटक बहू की विदा का मंचन और दहेज प्रथा पर आधारित नाटक अभिशाप और बाल विवाह पर आधारित नुक्कड़ नाटक में जीना चाहती हूं का मंचन साईं निवास के सामने कार्यालय हिंदुस्तान स्काउट गाइड ग्रीन पार्क पर किया गया

इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी प्रदेश संरक्षक  जे सी पालीवाल जी ने उपस्थित समुदाय एवं  रंगकर्मियों से कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि आज भी हमारे समाज जो दूरगामी गांव में रहते हैं वहां पढ़े लिखहो की संख्या आज भी कम है इसलिए दहेज की प्रथा और बाल विवाह की प्रथा चल रही है इसे  रंग कर्मियों स्काउट गाइड को रोकना चाहिए  और और ग्रामीण अंचलों में जाकर ऐसे ही नाटकों का मंचन करना चाहिए ताकि जनता जागरूक हो सके और कुरीतियों को रोके  श्री पालीवाल ने यह भी कहा कि आज का दिन हमारे लिए स्वर्णिम दिन है क्योंकि 3 अप्रैल 1868, को पंडित शीतला प्रसाद त्रिपाठी के लिखे नाटक जानकी मंडल का मंचन वाराणसी के अंग्रेजों के असेंबली रूल्स एवं थिएटर जिसे नाच घर भी कहते हैं 
एक नाटक बहू की विदा का निर्देशन अल्का मिश्रा के द्वारा किया गया 
प्रथम नाटक बहू की विदा पर मानसी सिमरन चौधरी अमन नंदलाल ने भावपूर्ण अभिनय किया

द्वितीय नाटक अभिशाप का निर्देशक हिमांशु सक्सेना ने तथा संयोजन अंकुर श्रीवास्तव का रहा

द्वितीय नाटक अभिशाप पर आंचल, फैजान, अमन, साहिल, हिमांशी, विपिन, गजेंद्र, हरीश ने भावपूर्ण अभिनय किया

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