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RGA न्यूज वृंदावन मथुरा
वृंदावन में है गोकुलानंद। सुरम्य वातावरण में ब्रज के वैभव का बखान कर रहा मंदिर परिसर। ...
मथुरा :- यमुना किनारे केशीघाट से जब हम राधारमण मंदिर के लिए जाएंगे तो रास्ते में प्राचीन सप्तदेवालयों में शामिल बाहर से छोटे प्रवेश द्वार वाला गोकुलानंद मंदिर मिलेगा। हालांकि इस मंदिर के आसपास या अंदर कोई चहल-पहल दिखाई नहीं देगी। लेकिन सुबह शाम आरती के दौरान घंटे-घडिय़ाल की ध्वनि मंदिर के प्राचीन वैभव का अहसास कराती है। गहन वृक्षावलियों से आच्छादित, शांत और सुरम्य वातावरण वाले इस मंदिर में कदम रखते ही अद्भुत शक्ति और हृदय को शीतलता प्रदान करने वाली शांति का अनुभव होता है। जैसे-जैसे कदम आगे बढ़ेंगे, गौड़ीय साधकों की समाधि के दर्शन वृंदावन के प्राचीन वैभव और साधकों की तपस्या की अनुभूति करवाएगी। लाल पत्थरों का फर्श और बंदरों से हरियाली को बचाने के लिए लगवाई गई जालियों से गुजरकर जब मंदिर के गर्भगृह की ओर कदम बढ़ते हैं तो एक आध्यात्मिक आकर्षण श्रद्धालु के मनोभाव को बदलता महसूस होता है। आगे बढऩे पर ईश्वर से मन के तार जुड़ते महसूस होते हैं।
चैतन्य महाप्रभु ने भेजे थे षठ्गोस्वामी
पांच सौ साल पहले जब चैतन्य महाप्रभु वृंदावन आए तो उन्हें यहां भगवान की लीला स्थलियों की अनुभूति हुई। चैतन्य महाप्रभु ने अपने षठ्गोस्वामियों को भगवान की लीला स्थलियों का प्रकाश करने को वृंदावन भेजा। चैतन्य महाप्रभु के आदेश पर वृंदावन आए रूप, मधु, सनातन, रघुनाथ, भट्ट, गोपाल भट्ट, जीव गोस्वामी ने वृंदावन में भगवान की लीला स्थलियों का प्रकाश किया और श्रीविग्रहों का स्थान-स्थान पर प्राकट््य भी किया। सात देवालय गौड़ीया के नाम से ही विख्यात हो गए।
पांच गोस्वामियों द्वारा सेवित विग्र्रह हैं विराजमान
मंदिर सेवायत वासुदेव दास पुजारी कहते हैं कि सप्तदेवालयों में प्रमुख गोकुलानंद मंदिर करीब चार सौ साल प्राचीन मंदिर है। यहां पांच गोस्वामियों द्वारा सेवित विग्रह विराजमान हैं। नरोत्तमदास ठाकुर द्वारा सेवित चैतन्य महाप्रभु, लोकनाथ दास द्वारा सेवित राधाविनोद, बलदेव विद्या भूषा के विजय गोङ्क्षवद, विश्वनाथ दास चक्रवती पद के गोकुलानंद और महाप्रभु के सेवित गिर्राज शिला मंदिर में विराजमान है।
वर्षभर होता है महोत्सव का आयोजन
यहां वर्षभर सप्देवालयों के अनुसार महोत्सव मनाए जाते हैं। इनमें झूलन महोत्सव, शरद पूर्णिमा, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधाष्टमी, हरियाली तीज, डोल महोत्सव और षठ् गोस्वामियों के तिरोभाव महोत्सव के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।