घंटाघर बम ब्लास्ट मामले में 21 साल बाद आया फैसला, एक को सज़ा और दूसरा बरी

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RGA न्यूज़ संवाददाता

21 साल पहले साइकिल में टंगे बैग के अंदर रखा विस्फोटक फटने से छह लोग घायल हुए थे।...

कानपुर:-  21 साल पहले घंटाघर में हुए बम विस्फोट मामले में शनिवार को फैसला आ गया। अपर सत्र न्यायाधीश चंद्रप्रकाश तिवारी ने सुनवाई के बाद एक अभियुक्त को सात वर्ष कैद और 25,500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। साक्ष्य के अभाव में मामले के दूसरा आरोपित बरी हो गया है। 
शहर में ये हुई थी घटना
घंटाघर में 20 जून 1997 की रात 8:15 बजे दो साइकिलों की टक्कर के बाद जोर का धमाका हुआ। इस धमाके में साइकिल सवार समेत छह लोग घायल हुए थे। घटना के बाद घंटाघर में भगदड़ मच गई थी, दुकानें और होटलों के शटर गिर गए थे। देखते ही देखते सड़क सुनसान हो गई थी। घटना के बाद सड़क पर तड़प रहे घायलों में से एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद भागने लगा था। तत्कालीन पुलिस कर्मी रईस पतारसी और त्रिपुरारी पांडेय ने उसे पकड़कर हरबंस मोहाल थाने भेजा था। 
सीबीसीआइडी ने की थी घटना की जांच 
पुलिस की पूछताछ में घायल ने अपना नाम बरेली के बहेड़ी जोखनपुर निवासी अब्दुल खालिक बताया था। अन्य घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया था। घटना की जांच सीबीसीआइडी को सौंपी गई थी। सीबीसीआइडी के विशेष लोक अभियोजक नागेश कुमार दीक्षित और काशी सिंह परिहार ने बताया कि कोर्ट में सुनवाई के बाद साक्ष्य के अभाव में एक आरोपित को बरी कर दिया गया। 
ये आरोपित हुआ बरी 
बरेली के भोजीपुरा धौरा टांडा निवासी अब्दुल रहमान उर्फ मिकाइल बिजली वाला उर्फ जाबिर को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3,4,5 व 6 आइपीसी की धारा 307 और 120बी में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है। 
लश्कर के आतंकी ने लिया था अब्दुल का नाम 
सीबीसीआइडी के विशेष लोक अभियोजक नागेश कुमार दीक्षित ने बताया लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली की स्पेशल सेल ने नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। भारत में 40 से ज्यादा बम विस्फोटों में उसका नाम सामने आया था, दिल्ली स्पेशल सेल की पूछताछ में टुंडा ने अब्दुल रहमान को अपना साथी बताया था।

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