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RGA News मेरठ संवाददाता
मेरठ में इस माह सैंकड़ों निजी अस्पताल अवैध घोषित हो जाएंगे। क्योंकि इन अस्पतालों को दिए गए कार्यशीलता प्रमाण-पत्र की अवधि फरवरी माह में ही खत्म हो जाएगी। ...
मेरठ :- यह खबर अस्पताल संचालकों को थोड़ा निराश कर सकती है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से इस तरह की सख्ती जरूरी है। फरवरी-2018 में अग्निशमन विभाग द्वारा अस्पतालों को दिए गए कार्यशीलता प्रमाण-पत्र की अवधि फरवरी माह में ही खत्म हो जाएगी। केवल एनओसी प्राप्त अस्पतालों का ही संचालन हो सकेगा। अग्निशमन विभाग के रिकॉर्ड में पूरे प्रदेश में हजारों निजी अस्पताल सिर्फ कार्यशीलता प्रमाण-पत्र के आधार पर संचालित हैं। मेरठ में ऐसे लगभग 250 अस्पताल हैं। समयसीमा समाप्त होते ही बगैर एनओसी चलने वाले अस्पतालों को अवैध मानते हुए संचालकों पर कार्रवाई होगी।
पिछले साल लगी थी रोक
सालों तक अग्निशमन यंत्रों की री-फीलिंग नहीं कराने की शिकायत पर प्रदेश सरकार ने फरवरी-2018 में अस्पतालों में कार्यशीलता प्रमाण-पत्र पर रोक लगा दी थी। जिन अस्पताल संचालकों ने पिछले साल ये प्रमाण-पत्र लिए थे, उनकी अवधि इसी माह 28 फरवरी को समाप्त हो जाएगी। पूरे प्रदेश में ऐसे हजारों, जबकि मेरठ में लगभग 250 अस्पताल हैं जिनके पास एनओसी नहीं है। ये सभी अस्पताल सिर्फ कार्यशीलता प्रमाण-पत्र के सहारे ही चल रहे हैं।
एनओसी के लिए कड़े मानक
अब इस प्रमाण-पत्र के स्थान पर अस्पताल संचालकों को एनओसी लेनी होगी। ज्यादातर अस्पताल मानकों के विपरीत हैं। कहीं आपातकालीन निकासी नहीं है तो कहीं नक्शा मानकों के उलट है। अंडरग्राउंड व टेरिस वाटर टैंक के अलावा स्मॉग डिटेक्टर आदि उपकरण नहीं लगे हैं। इन कड़े मानकों पर ज्यादातर अस्पताल खरे नहीं उतर पाएंगे, लिहाजा एनओसी के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी।
नक्शे पर टिकी एनओसी की नींव
अग्निशमन विभाग की तरफ से एनओसी देने की ऑनलाइन व्यवस्था है। सबसे पहले आर्किटेक्ट द्वारा बनाए गए नक्शे को ऑनलाइन अपलोड करना होगा। इसके बाद तय होगा कि एनओसी देनी है या नहीं।
ये है कार्यशीलता प्रमाण पत्र
फरवरी-2018 से पहले अग्निशमन विभाग कार्यशीलता प्रमाण-पत्र जारी करता था। यह प्रमाणित करता है कि अग्निशमन यंत्र सुचारू काम कर रहे हैं। इसका सालाना नवीनीकरण कराना होता था। शासन ने इस पर प्रतिबंध लगाते हुए एनओसी अनिवार्य की थी। एनओसी का नवीनीकरण हर तीन वर्ष बाद होगा।
इनका कहना है
प्रदेश में कहीं भी कार्यशीलता प्रमाण-पत्र नहीं बन रहे हैं। बगैर एनओसी के अस्पताल का संचालन अवैध हैं।
-अजय कुमार, मुख्य अग्निशमन अधिकारी मेरठ
मानकों का पालन करने वाले अस्पतालों को ही संचालन की अनुमति दी जाएगी। मरीजों व तीमारदारों की जान से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
- डा. अखिलेश अग्रवाल, अपर निदेशक स्वास्थ्य
इस संबंध में हम सीएफओ से मिले थे। तय किया गया कि अस्पताल संचालक अपने यहां अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को बुलाकर अग्निशमन यंत्रों की जांच करा लें। इसके बाद सीएफओ स्तर पर निरीक्षण सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसी आधार पर अस्पताल के रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण हो सकेगा।
- डा. शिशिर जैन, अध्यक्ष आइएमए