RGA न्यूज: झारखंड
30 मार्च, साल 1980. दिन रविवार. सुबह होते ही चाईबासा की सड़कों पर आदिवासी जुटने लगे. जैसे-जैसे दिन चढ़ा, इनकी संख्या बढ़ती चली गयी. दोपहर तक मंगलाहाट में हजारों लोग जमा हो चुके थे.
झारखंड के हो (लकड़ा-कोल) आदिवासियों का ये जमावड़ा यहां आयोजित रैली के लिए था. इसी रैली में पहली बार अलग कोल्हान देश की मांग की गई.
इस भीड़ का नेतृत्व कोल्हान रक्षा संघ के नेता नारायण जोनको, क्राइस्ट आनंद टोपनो और कृष्ण चंद्र हेंब्रम (के सी हेंब्रम) कर रहे थे. इन लोगों ने 1837 के विल्किंसन रूल का हवाला देते हुए कहा कि कोल्हान इलाके पर भारत का कोई अधिकार नहीं बनता है. तब उन्होंने ब्रिटेन की सत्ता के प्रति अपनी आस्था जताई.
कोल्हान तब अविभाजित बिहार राज्य का एक प्रमंडल था. पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम जिले इसके अधीन थे. अब ये इलाका झारखंड में है.
सिंहभूम के दोनों हिस्सों के साथ इसी से काट कर बनाया गया सरायकेला खरसावां जिला भी इसकी परिधि में है. चाईबासा पश्चिमी सिंहभूम जिले का मुख्यालय है.
ब्रिटिश शासनकाल में सर थामस विल्किंसन साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी (एसडब्लूएफए) के प्रमुख थे. उन्होंने सैन्य हस्तक्षेप कर कोल विद्रोह को दबाया और कोल्हान इलाके के 620 गांवों के मुंडाओं (प्रधान) को ब्रिटिश सेना के समक्ष आत्मसमर्पण करने को मजबूर कर दिया.
तब इन मुंडाओं के नेतृत्व में कोल विद्रोह अपने उफान पर था. सर विल्किंसन ने साल 1837 में 'कोल्हान सेपरेट एस्टेट' की घोषणा कर चाईबासा को उसका मुख्यालय बना दिया.
तब लोगों को अपने पक्ष में करने के उद्देश्य से उन्होंने इस इलाके में पहले से चली आ रही मुंडा-मानकी स्वशासन की व्यवस्था लागू कर दी. इसे 'विल्किंसन रुल' कहा जाता है.
इसके तहत सिविल मामलों के निष्पादन का अधिकार मुंडाओं को मिल गया जबकि आपराधिक मामलों के निष्पादन के लिए मानकी को अधिकृत कर दिया गया.
प्रभावी है विल्किंसन रूल?
वरिष्ठ पत्रकार मधुकर बताते हैं कि देसी रियासतों के भारत में विलय के वक्त कोल्हान इलाके में कोई रियासत प्रभावी नहीं थी. ये इलाका मुगलों के वक्त से ही पोड़ाहाट के राजा की रियासत थी. लेकिन, कोल्हान एस्टेट बनने के बाद सारे अधिकार मुंडाओं के हाथों में आ गए थे.
लिहाजा, पोड़ाहाट के राजा अस्तित्व में ही नहीं थे. इस वजह से कोल्हान इलाके के भारतीय संघ में विलय का कोई मजबूत दस्तावेज नहीं बन सका.
इस कारण भारत की आज़ादी के बाद भी यहां विल्किंसन रूल प्रभावी बना रहा. इसी को आधार बनाकर गाहे-बगाहे अलग कोल्हान देश की मांग की जाती रही है.