मरीजों की दवाएं सिस्टम में 'ढेर'

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RGA News बदायूं ब्यूरो चीफ

जिला अस्पताल में इलाज कराने जा रहे हैं तो आपको परामर्श तो मिल सकता है, दवाएं नहीं।...

बदायूं : जिला अस्पताल में इलाज कराने जा रहे हैं तो आपको परामर्श तो मिल सकता है, दवाएं नहीं। एंटीरेबीज वैक्सीन तो कई सप्ताह से नदारद थी, अब एलर्जी की दवा भी खत्म हो गई। पैरासीटामोल की किल्लत है। आलम यह है कि मरीजों को पांच के बजाय दो या अधिकतम तीन दिन की ही दवा दी जा रही है। सरकार के उप्र मेडिकल आपूर्ति निगम (यूपीएमएससी) से जरूरी दवा की आपूर्ति ही नहीं मिल रही।

लखनऊ से मिलेगी तब देंगे

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में दवा और इलाज के अन्य सामान की आपूर्ति के लिए प्रदेश सरकार ने पिछले साल यूपीएमएससी का गठन किया था। इसे बाद से दवा की जरूरत होने पर मांग भेजी जाती है। मकसद था स्थानीय स्तर पर गैरअधिकृत कंपनी से दवा खरीद व कमीशनखोरी पर लगाम लगाने की। लेकिन, अब मांग के बावजूद लखनऊ से पर्याप्त मात्रा में दवाएं ही नहीं मिल पा रहीं। दवा काउंटर के कर्मचारी मरीजों को पर्चे दिखाने पर 'ऊपर से मिलेगी तब देंगे' का जवाब थमाने लगे।

गैरजरूरी दवाओं का लगा ढेर

कॉरपोरेशन बनने के बाद से पिछले कुछ माह में जो दवाएं भेजी गई, उनमें ज्यादातर गैरजरूरी हैं। सप्लाई स्टोर में पड़ी है। आवश्यक दवाएं न मिलने से कई रोगियों को भटकना पड़ रहा है।

यह दवाएं हो चुकी हैं खत्म

पेनकिलर : खत्म हो चुकीं

एंटी रेबीज वैक्सीन : दो सप्ताह पहले केवल 320 वॉयल आई, जो खत्म हो चुकी हैं। कुत्ता, बंदर काटने के मरीजों को बाजार से खरीदनी पड़ रही है

पैरासीटामोल : स्टॉक खत्म होने की कगार पर। 10 दिन की गोलियां ही शेष

एंटी एलर्जिक : यह गोलियां (एविल) भी खत्म हो चुकी हैं। दवा के बजाय 3000 सीरप भेजे गए, जिनका उपयोग काफी कम होता है वर्जन

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अस्पताल में यूपीएमएससी से दवाएं पहुंचती हैं। जिन दवाओं की कमी है, उनकी मांग की गई है। उम्मीद है जल्द ही दवाएं पहुंच जाएंगी।

- डॉ. बीबी पुष्कर, सीएमएस

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