
RGA News बिहार मुजफ्फरपुर
भ्रूण हत्या रोकने को जागरूक कर रहीं सादिया-आफरीन। रूबी बनीं पावर सब स्टेशन में ऑपरेटर। लाइबेरिया में बतौर शांति सैनिक उषा ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका।..
मुजफ्फरपुर :- आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहीं। कार्य चाहे कठिन हो या फिर विशुद्ध बौद्धिक, परफेक्शन के साथ करती हैं। मीनापुर प्रखंड के खानेजादपुर गांव की सादिया परवीन व आफरीन खातून कोख की 'लक्ष्मी' बचाने को जागरूकता अभियान चला रहीं। वहीं मारकन पावर सब स्टेशन में ऑपरेटर के रूप में रूबी मर्दों के वर्चस्व के कार्य को बखूबी अंजाम दे रही हैं।
जनवरी 2015 के अजीजपुर दंगे के दौरान अपने घरों में शरण देकर लोगों की जान बचाने वाली शैल देवी समाज में सौहार्द्र के माहौल को बनाए रखने के लिए लगातार काम कर रही हैं। इसी तरह अशांत पश्चिमी अफ्रीकी देश लाइबेरिया में बतौर शांति सैनिक उषा ने अपनी सेवा देकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर देश व जिले का नाम रोशन किया है।
सादिया और आफरीन के लाजवाब कार्य
मीनापुर प्रखंड के खानेजादपुर गांव की सादिया परवीन व आफरीन खातून का कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान जारी है। खानेजादपुर गांव के मोमबत्ती व्यवसायी मो. तस्लीम की स्नातक पास बेटी सादिया बगल के गांव रामसहाय छपरा के प्राथमिक विद्यालय में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं तो छोटी बहन आफरीन पढ़ाई कर रहीं। छह साल पहले शुरू हुई मुहिम के बारे में सादिया बताती हैं कि उनकी मौसी पास के ही गांव जमालाबाद में रहती हैं।
2012 में जब वे मौसी के घर थीं तो वहां एक महिला के बारे में उन्हें जानकारी मिली कि वह कोख में पल रहे कन्या भ्रूण का गर्भपात कराना चाह रही। पहले से तीन बच्चों की मां खुद नहीं चाहती थी कि उसकी चौथी संतान बेटी हो। इस परिस्थिति में उनके लिए कन्या भ्रूण की रक्षा चुनौती थी, लेकिन दोनों बहनों के अथक प्रयास से उस महिला के घरवाले राजी हो पाए। उन्हें चौथी बेटी हुई और नाम 'जन्नत' रखा गया। उनके अब तक के प्रयास से दो दर्जन से अधिक कन्या भ्रूण की जान बच सकी है।
संघर्ष के बीच घरों को रोशन कर रहीं रूबी
रूबी मारकन पावर सब स्टेशन में स्विच बोर्ड ऑपरेटर के पद पर काम कर रही हैं। पुरुषों के वर्चस्व वाले इस कार्य को जिम्मेदारी से निभाकर उन्होंने यह साबित किया है कि कार्य कोई भी हो, ठान लिया जाए तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। मारकन पावर सब स्टेशन में पिछले 12 वर्षों से स्विच बोर्ड ऑपरेटर हैं। तीन बच्चों की परवरिश के साथ ही समय से ड्यूटी करती हैं। सहयोगी नहीं रहने पर डबल ड््यूटी से भी पीछे नहीं हटतीं।
'देवी' ने बचाईं दर्जनों जानें
वर्ष 2015 में जिला अंतर्गत अजीजपुर गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान इसी गांव की शैल देवी ने कई लोगों की जान बचाईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उनकी भूमिका की सराहना करते हुए उन्हें 'देवी' कहा था। 18 जनवरी 2015 की सुबह जब अजीजपुर में सैकड़ों उपद्रवी लोगों के घरों में आग लगा रहे थे। शैल देवी ने खतरा मोल लेकर दर्जनों लोगों को घर में पनाह दी और बहादुरी व सूझबूझ से उपद्रवियों को दूसरी दिशा में भेज उनकी जान बचाई। उसके बाद से लगातार सामाजिक सौहार्द्र कायम करने को संघर्षरत हैं।
लाइबेरिया में रोशन किया देश का नाम
अशांत पश्चिमी अफ्रीकी देश लाइबेरिया में बतौर शांति सैनिक उषा ने फरवरी 2015 से फरवरी 2016 तक अपनी सेवा देकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर देश व जिले का नाम रोशन किया। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ से उन्हें मेडल एवं प्रशस्ति पत्र भी मिला है। कांटी प्रखंड के शुभंकरपुर मिया पकड़ी निवासी व एयरफोर्स के पूर्व जवान गणेश प्रसाद की पुत्री उषा गुप्ता ने आरबीबीएम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई वर्ष 1995 में पूरी की थी। इस दौरान बतौर फुटबॉलर वह काफी चर्चित रहीं। वर्ष 1997 में वह सीआरपीएफ के लिए चुनी गईं। मद्रास में ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग दिल्ली में हुई थी।