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RGA News
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में प्रभु राम की जन्म स्थली पर ही उनका मंदिर बनेगा। इसके लिए कोई समझौता नहीं होगा। सभी सनातन धर्मी मिलकर कम्बोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तरह सुंदर राम मंदिर का भी निर्माण कराएंगे।
बुधवार को शिवाला स्थित चेतसिंह किला में आयोजित स्वामी प्रज्ञानानंद गिरि महाराज के आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर पट्टाभिषेक के बाद शंकराचार्य जी आशीर्वन के दौरान यह विचार रखे। उन्होंने कहा कि विश्व का हृदय स्थल भारत है। अगर भारत हर दृष्टि से समृद्ध रहेगा तो विश्व में भी समृद्धि बनी रहेगी। इसलिए साधु-संतों के साथ युवा संन्यासियों को भी आगे आकर सनातन धर्म को आगे बढ़ाना चाहिए। तभी हमारा धर्म और संस्कृति उतरोत्तर विकास करेगी। स्वामी जी ने कहा कि भगवान शिव ने काशी में मोक्ष का क्षेत्र खोला है। इस धाम पर आने वालों को मुक्ति मिल जाती है।
इसके पूर्व शंकराचार्य के शिष्य स्वामी प्रज्ञानानंद गिरि महाराज को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में पट्टाभिषेक हुआ। षोडशोपचार विधि से उनका दूध, जल, दही, घी व मधु आदि से स्नान कराया गया। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सहित विभिन्न प्रांतों से आए संतों ने पुष्पवर्षा किया और पट्टा ओढ़ाकर उनको पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी का आचार्य महामंडलेश्वर घोषित किया। गुरु को नमन करते हुए स्वामी प्रज्ञानानंद गिरि ने कहा कि गुरु ने मुझे जिस भूमिका का निर्वाहन करने का दायित्व दिया है तो वही सामर्थ भी देंगे। उनके सानिध्य में ही हम सनातन धर्म का और विस्तार करेंगे।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री एवं महामंडलेश्वर साध्वी निरंजना ज्योति, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बलकानंद गिरि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि महाराज, महाण्डलेश्वर विश्वकानन्द महाराज, सातुआ बाबा संतोष दास, हरि गिरि महाराज, नारायण गिरि महाराज, माई आनंदमई, विष्णु चैतन्य तीर्थ महाराज, विद्यानंद पूरी महाराज, हरिओम गिरि महाराज, महेशानंद गिरि महाराज, आशुतोषानंद महाराज, रवींद्रपुरी महाराज, लखन गिरि महाराज, रामेश्वरपुरी महाराज, दिनेश गिरि महाराज, आशीष गिरि महाराज, राम रतन गिरि महाराज, धर्मराज भारती महाराज, केशव पूरी महाराज, राधे गिरि महाराज, ओंकार गिरि महाराज, मुकुंदानंद, काशी विद्वत परिषद के प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, परमेश्वर नाथ मिश्र, डॉ. श्रीप्रकाश मिश्रा आदि रहे।