
RGA News
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इन दिनों शिक्षकों का टोटा पड़ा है। खाली पद हैं लेकिन उसे भरा नहीं जा रहा है। जबकि नैक की टीम मूल्यांकन करने आ रही है। छात्र-छात्राओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है।...
प्रयागराज : राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की टीम 26 मार्च को इलाहाबाद विश्वविद्यालय का मूल्यांकन करने आ रही है। टीम के आने से पहले सभी विभागों के अध्यक्ष तैयारियों में जुटे रहे कि कहीं कोई कमी ग्रेडिंग न बिगाड़ दे। वहीं विश्वविद्यालय में शिक्षकों का टोटा है। यहां पर 26 हजार छात्र-छात्राओं का भविष्य 300 शिक्षकों के जिम्मे है।
वर्तमान में केवल तीन सौ ही शिक्षक
विश्वविद्यालय में शिक्षकों के कुल 1200 पद सृजित हैं लेकिन वर्तमान में केवल तीन सौ शिक्षक ही हैं। ऐसे में 900 शिक्षकों की कमी है। दस वर्ष से बिना रेटिंग के चल रहे इविवि में कुल 26 हजार छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। विभागवार बात करें तो रसायन विज्ञान विभाग में 60 शिक्षकों के पद हैं किंतु वर्तमान में आठ शिक्षक हैं। संस्कृत में 26 की जगह चार, अंग्रेजी में 60 की जगह आठ और उर्दू विभाग में 12 की जगह चार ही शिक्षक तैनात हैं। ऐसे में इविवि प्रशासन को अतिथि प्रवक्ताओं का सहारा लेना पड़ रहा है। शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए इविवि प्रशासन ने कई बार विश्वविद्यालय के रेक्टर व कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू और मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) को पत्र भी लिखा। इसके बावजूद इस समस्या को दूर नहीं किया जा सका।
विज्ञापन निकला पर नियुक्ति नहीं
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षकों के पदों को भरने के लिए 558 पदों पर विज्ञापन निकाला गया है। 558 पदों में 66 पद प्रोफेसर, 136 पद एसोसिएट प्रोफेसर और 336 पद असिस्टेंट प्रोफेसर के हैं। इसके पहले भी 504 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन एमएचआरडी की ओर से विज्ञापन निरस्त कर दिया गया।
क्या कहते हैं चीफ प्रॉक्टर
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे का कहना है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्तियां अनिवार्य हैं। इससे विश्वविद्यालय का सर्वांगीण विकास होगा। इसके लिए राष्ट्रपति और कुलपति को पत्र भी लिखा जा चुका है।