
Loksabha Election 2019 :भारत में बढ़ता जा रहा राजनीतिक दलों का 'दलदल'
RGA news
नाव आयोग में पंजीकृत अजब-गजब नाम वाले ज्यादातर दलों का न तो कोई जनाधार है और न ही वे देश-प्रदेश व समाज के लिए कुछ करते दिखते हैं। ...
लखनऊ विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में राजनीतिक दलों का 'दलदल' बढ़ता ही जा रहा है। दो दशक के दरमियान चार गुने से ज्यादा नए दल व पार्टियां बन चुके हैं। हालांकि, चुनाव आयोग में पंजीकृत अजब-गजब नाम वाले ज्यादातर दलों का न तो कोई जनाधार है और न ही वे देश-प्रदेश व समाज के लिए कुछ करते दिखते हैं।
ऐसे में भले ही आपने इनमें से तमाम का नाम तक न सुना हो, फिर भी सत्रहवीं लोकसभा के चुनावी अखाड़े में ज्यादातर ताल ठोकने को तैयार हैं। देश में जिस तरह से गठबंधन की सरकारें बन रही हैैं, उनमें क्षेत्रीय पार्टियों के साथ ही कई बार छोटे-छोटे दलों की भूमिका भी अहम दिखाई देती है। क्षेत्र विशेष में ऐसे दलों के प्रभाव को देखते हुए राष्ट्रीय पार्टियां तक उनकी अनदेखी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती हैं। यहां तक कि उनसे गठबंधन तक हो रहे हैैं। यही बड़ा कारण लगता है कि आए दिन देशभर में नई-नई पार्टियां व दल बनते जा रहे हैं।
स्थिति यह कि भारत निर्वाचन आयोग में सिर्फ पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों की ही संख्या बढ़कर 2301 पहुंच चुकी है। देश-प्रदेश में कितनी तेजी से नई-नई पार्टियां बढ़ती जा रही हैं उसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 2001 में जहां 537 पार्टियां थी, वहीं पिछले पांच वर्ष के दौरान ही 674 पार्टियां बढ़ गईं हैैैं। आयोग के मुताबिक पिछले दो दशकों में पार्टियों की संख्या में चार गुने से ज्यादा इजाफा हुआ है। इनमें से 75 जिलों वाले सूबे से ही तकरीबन एक-चौथाई यानी 400 से अधिक पंजीकृत पार्टियां हैं।
गौर करने की बात यह है कि राष्ट्रीय के साथ ही राज्य स्तरीय पार्टियों का मुख्यालय तो दिल्ली में है ही, कई अन्य पंजीकृत दल ऐसे हैं जिनका कार्य क्षेत्र तो दूसरे राज्यों में है लेकिन, उन्होंने मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही बना रखा है। वैसे तो नए दल या पार्टी को चुनाव आयोग में पंजीकृत कराए जाने की सतत प्रक्रिया चलती रहती है लेकिन, लोकसभा या विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी संख्या में दलों व पार्टी का पंजीकरण कराया जाता रहा है। ऐसे में नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने तक पार्टियों की संख्या कुछ और भी बढ़ सकती हैै।
अब सात राष्ट्रीय पार्टियां
देश में राष्ट्रीय पार्टियां मात्र सात ही हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी व ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी है। गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी नहीं थी।
उत्तर प्रदेश में दो ही राज्य पार्टियां
जहां तक राज्य स्तरीय पार्टियों की बात है तो उत्तर प्रदेश में मात्र दो ही ऐसी पार्टियां है। इनमें साइकिल चुनाव चिह्न वाली समाजवादी पार्टी के अलावा राष्ट्रीय लोकदल है जिसका चुनाव चिह्न हैंडपंप है। अबकी दोनों ही पार्टियां चुनाव मैदान में मिलकर उतर रही हैैं।
कोई नहीं बचा पार्टियां बनाने वालों से
पार्टियां बनाने वालों ने किसी को तो नहीं छोड़ा है। मनमाने नाम से बनाई गई पार्टियों का जनाधार भले ही कुछ न हो लेकिन, अधिकांश ने अखिल भारतीय या आल इंडिया जोडऩे से गुरेज नहीं की है। खुद को आम जनता के करीब और आदर्शवादी बताने वाले नामों वाली पार्टियों की भी भरमार है। कृषि प्रधान देश के सबसे बड़े राज्य में किसानों और युवाओं की चुनाव में बढ़ती भूमिका के मद्देनजर युवाओं के नाम से भी बनी पार्टियों की कोई कमी नहीं है। समाज के लिए कुछ कर दिखाने को ही समाज के नाम से भी पार्टियां हैं। जहां हिन्दूत्व का झंडा ऊंचा करने वाली पार्टियां हैं, वहीं अल्पसंख्यकों की पैरवी करने वालों ने भी पार्टी बना रखी है। बेरोजगारों, गरीबों, श्रमिकों व युवाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी यहां कई पार्टियां बनी हुई हैं। बहुजन समाज का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वालों ने कई दल बनाए हैं। क्षेत्रवार बनी पार्टियों की भी कमी नहीं है। बीआर आम्बेडकर से लेकर गांधी और सुभाष चंद्र जैसे महापुरुषों के आदर्श पर भले ही चलने वाले न हों लेकिन, उनके नामों से भी कई पार्टियां बनी हुई हैं।
यूं बढ़ रहा दलों का 'दलदल'
वर्ष दल
2001 - 537
2007 - 827
2009 - 1000
2011 - 1308
2013 - 1392
2014 - 1627
2016 - 1786
2017 - 1837
2019 - 2301