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लखनऊ समाचार ब्यूरो चीफ रामजी यादव
लखनऊ: एससी/एसटी एक्ट को लेकर दलितों के भारत बंद आंदोलन के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारी डॉ. बीपी अशोक ने राष्ट्रपति को सशर्त इस्तीफा भेजा है। डीजीपी के माध्यम से भेजे गये इस इस्तीफे में अशोक ने सात सूत्री मांग रखी है जिसमें दो टूक कहा है कि एससी/एसटी को कमजोर किया जा रहा है। डॉ. अशोक पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के पद पर तैनात हैं।
डॉ. बीपी अशोक ने कहा है कि 'भारत में वर्तमान समय में ऐसी परिस्थिति पैदा हो गई जिसके कारण मुझे हृदय से भारी आघात पहुंचा है। मैं अपने जीवन का कठोर निर्णय ले रहा हूं। उनकी मांग है कि संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए और रूल आफ जज, रूल आफ पुलिस के स्थान पर रूल आफ लॉ का सम्मान किया जाए। महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व, महिलाओं, एससी/एसटी,ओबीसी और अल्पसंख्यकों को उच्च न्यायालयों में प्रतिनिधित्व, प्रोन्नति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व, श्रेणी फोर से श्रेणी एक तक साक्षात्कार खत्म करने और जाति के खिलाफ स्पष्ट कानून बनाया जाए
उन्होंने सशर्त कहा है कि 'इन सांविधानिक मांगों को माना जाए या मेरा त्यागपत्र या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकार की जाए। उन्होंने पूरे देश के युवाओं से शांति की अपील करते हुए कहा कि 'इस परिस्थिति में मुझे बार-बार विचार आ रहा है कि अब नहीं तो कब, हम नहीं तो कौन। उल्लेखनीय है कि डॉ. बीपी अशोक अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। उनके पिता देवी सिंह अशोक रिटायर्ड आइपीएस हैं। बीपी अशोक पर बसपा सरकार में सपा कार्यकर्ताओं के उत्पीडऩ का आरोप लगा था। सपा सरकार बनते ही उन्हें आरटीसी चुनार में भेजा गया। लंबे समय तक वह वहीं रहे।