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Lok Sabah Election 2019 हिमाचल में छात्र राजनीति से निकले कई नेताओं ने देशभर में अहम पहचान बनाई है चाहे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा हों या मुख्यमंत्री जयराम।...
शिमला:-हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय छात्र संघ (एससीए) के प्रत्यक्ष चुनाव पर प्रतिबंध है। छात्र संगठनों के प्रतिनिधि एससीए के प्रत्यक्ष चुनाव बहाल करने की मांग लगातार कर रहे हैं। प्रत्यक्ष चुनाव बहाल हों या न हों मगर प्रदेश में छात्र राजनीति से निकले कई नेता देशभर में अहम पहचान बनाए हुए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा हों या मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, प्रदेश में छात्र राजनीति से कई नेता मुख्यधारा की राजनीति में आए हैं। नड्डा व जयराम दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजनीति तक अहम
भूमिका निभा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा को ही छात्र राजनीति से नेता मिले हैं। छात्र राजनीति से आए आनंद शर्मा कांग्रेस में राष्ट्रीय पटल पर चमक रहे हैं।
वह केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचे और अभी राज्यसभा सदस्य हैं। वामपंथ भले ही देश-दुनिया में फीका पड़ रहा हो मगर आमजन के मुद्दों पर पकड़ बनाने वालों में कामरेड राकेश सिंघा का नाम आता है। प्रदेश में छात्र राजनीति से अनुभव प्राप्त कर भाजपा, कांग्रेस व वामपंथी माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में कई
नेताओं ने राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाई है। कांग्रेस के अग्रणी छात्र संगठन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) व स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) से निकले कई छात्र नेता राजनीति में सक्रिय हैं।
छात्र राजनीति से सीखी सियासत
राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के राजनीतिक अनुभव की बात हो तो इन दोनों ने सियासत पहाड़ में छात्र काल से ही सीखी है। राजनीति में फिट होने के लिए छात्र-छात्राएं कॉलेज व विश्वविद्यालय स्तर से ही सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर काम करने में जुटते हैं। नड्डा उन छात्र नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में राजनीति करने के तुरंत बाद विधानसभा की दहलीज पर कदम रखा।
विद्यार्थी परिषद नेता से सीएम पद तक पहुंचे जयराम जयराम ठाकुर ने मंडी के पड्डल मैदान के एक छोर पर स्थित वल्लभ पंत स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता के रूप में राजनीति की। इसी का परिणाम है कि वह मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे।
यह नहीं पहुंचे आगे
छात्र राजनीति में सक्रिय रहे कुछ नेताओं को समय पर मौका नहीं मिला। अब ऐसे छात्र नेता कहीं हाशिए पर हैं। हिमाचल प्रदेश विवि वामपंथी विचारधारा का मठ रहा है। लेकिन राजीव मेजर व संजीव भूषण राजनीतिक पटल पर कहीं नहीं हैं। भाजपा में अजय राणा पार्टी प्रवक्ता तो हैं मगर वह भी ऊंची उड़ान नहीं भर सके हैं। प्रवीण शर्मा, अभिषेक ठाकुर, पंकज जम्वाल, लक्ष्मी ठाकुर, कांग्रेस में अमित पाल सिंह, बिलासपुर से कमल नयन, वकील जय सिंह, प्रेम सिंह, सुभाष शर्मा, संजय गुलेरिया, विक्रम शर्मा को राजनीति में कोई छोर नहीं मिला है।
केंद्रीय छात्र संघ के प्रत्यक्ष चुनाव पर प्रतिबंध
हिमाचल में सरकार ने केंद्रीय छात्र संघ के प्रत्यक्ष चुनाव पर 2014 से प्रतिबंध लगा दिया था। चुनाव के दौरान हिंसा व पढ़ाई बाधित होने की वजह से यह निर्णय लिया था। अब कॉलेजों में अप्रत्यक्ष तरीके से केंद्रीय छात्र संघ का गठन हो रहा है। इस कारण कई छात्र नेता नहीं बन पा रहे हैं। एनएसयूआइ
व एबीवीपी से जो नेता आज प्रमुख दलों में सक्रिय हैं, वे केंद्रीय छात्र संघ चुनाव में जीत का परचम लहरा चुके हैं। इससे पहले 1994 में एससीए चुनाव पर प्रतिबंध लगा जो 2000 में बहाल हुआ था। दोनों
समय प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी।
भाजपा में चमके कई छात्र नेता
भाजपा में नड्डा व जयराम के अलावा शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर, स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती, विधायक नरेंद्र
बरागटा, विनोद कुमार, पूर्व विधायक रणधीर शर्मा, विजय अग्निहोत्री, प्रवीण शर्मा, पूर्व सांसद सुरेश चंदेल, कृपाल परमार, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष इंदू गोस्वामी, भाजयुमो प्रदेशाध्यक्ष विशाल चौहान, एससी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सिकंदर कुमार, एसटी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष सूरत नेगी, महासचिव जवाहर शर्मा, ओएसडी एवं दो संसदीय क्षेत्रों के प्रभारी महेंद्र धर्माणी, बिहारी शर्मा, उमेश दत्त शर्मा, नरेंद्र अत्री, सुनील ठाकुर, अमित ठाकुर, भाजपा लीगल सेल के पदाधिकारी नरेंद्र गुलेरिया, प्रवीण शर्मा, प्रदेश महासचिव
अरुण फाल्टा, भाजयुमो उपाध्यक्ष शीतल ब्यास, अमित धूमल सहित कई छात्र नेता मुख्य राजनीति में भूमिका निभा रहे हैं।
एसएफआइ से भी आए नेता
एसएफआइ से विधायक राकेश सिंह व कामरेड तारा चंद ही विधानसभा तक पहुंच पाए हैं। टिकेंद्र
सिंह पंवर नगर निगम शिमला में उप महापौर रहे हैं। ऐसे कई नेता छात्र जीवन में एसएफआइ
में सक्रिय थे जो आज पंचायती राज संस्थाओं में विजय हुए हैं। एसएफआइ से आए नेताओं
में कुलदीप तंवर, कुशाल भारद्वाज, अनिल मनकोटिया, लोकेंद्र, मुनीष शर्मा, भूपेंद्र सिंह, सुरेंद्र जस्पा, विवेक कश्यप, अजय भट्टी, जोगेंद्र कुमार, फालमा चौहान आदि शामिल हैं।
एनएसयूआइ से बनाई अपनी पहचान
एनएसयूआइ से राजनीति में कदम रखने के बाद युवा कांग्रेस और फिर सीधे राष्ट्रीय राजनीति में विशेष पहचान बनाने के लिए दिल्ली का रुख करने वाले आनंद शर्मा आज गांधी परिवार के सबसे विश्वस्त हैं। करीब दो दशक से कांग्रेस में प्रभाव रखने वाले आनंद शर्मा की खास पहचान है। कुलदीप राठौर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनने वाले ऐसे नेता हैं जिन्होंने एनएसयूआइ का प्रदेश में विस्तार किया। इनके अलावा जिन नेताओं ने एनएसयूआइ से बाद युकां से होते हुए विधानसभा तक का सफर तय किया, उनमें पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, हर्ष महाजन व आशा कुमारी शामिल हैं।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रहे सुखविंदर सुक्खू भी छात्र राजनीति से होकर ही निकले हैं। छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए नेताओं में पूर्व संसदीय सचिव राजेश धर्माणी, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव नीरज भारती, पूर्व विधायक संजय रत्न व पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट भी शामिल हैं। एनएसयूआइ के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अतुल शर्मा, केवल सिंह पठानिया, विवेक कुमार, यदोपति ठाकुर, रिंपल चौधरी, अरुण शर्मा, एनएसयूआइ के पूर्व महासचिव अजय सोलंकी व विनोद सुलतानपुरी ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपने समय में छात्र राजनीति में पहचान बनाई है।