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Lok Sabha Election 2019. कांग्रेस के घोषणापत्र में देशद्रोह की धारा खत्म करने की बात पर लोगों ने कहा-धारा हटनी नहीं चाहिए। छात्राएं बोलीं घोषणापत्र का मतलब नहीं कितना काम हुआ मुद्दा।...
रांची: -Lok Sabha Election 2019 - दिन के 11 बजे, रांची का बूटी मोड़ बस स्टैंड। रामगढ़, ओरमांझी, हजारीबाग...की आखिरी पुकार के बाद लगभग भर चुकी बस की दीवार पर कंडक्टर ने जोर की थपकी मारी। संकेत पाकर ड्राइवर ने झटके से गाड़ी बढ़ा दी। हम बस में सवार थे। सबसे पीछे की सीट पर बैठ कर मैंने बस सवारों पर निगाह दौड़ाई।
आगे की सीट पर दो युवा, आस-पास मध्यम वर्गीय औरतें, कुछ बुजुर्ग पुरुष और कॉलेज यूनिफार्म में चेहरे पर स्कार्फ बांधे युवतियां। युवतियां खड़ी थीं, जिन्हें सीट देने के लिए मैं और साथ में आए फोटो जर्नलिस्ट करूण खड़े हो गए। यह इस लिहाज से भी अच्छा था कि मैं सब की बातें आसानी से सुन सकता था। बीआइटी मोड़ पहुंचने पर पीछे बैठे बुजुर्ग से मैंने ही पूछ लिया - क्या चाचा, अबकी बार किसकी सरकार? उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि जिसकी भी हो, बस गरीबों को घर मिले और किसान भूखा न मरे।
इसी के साथ चुनावी बहस की शुरुआत हुई और लोगों ने अपनी राय रखनी शुरू की। वृद्ध बिंदेश्वरी प्रसाद ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आसमानी बातें नहीं, जमीन पर रह कर जमीन पर काम करने वाला नेता चाहिए। रारी के त्रिभुवन वर्मा ने भी उनकी बात का समर्थन किया, कहा कि विकास ही एक मात्र मुद्दा होना चाहिए। कांग्रेस के घोषणापत्र पर मैने चर्चा छेड़ी तो क्षण भर की खामोशी के बाद पीछे बैठी छात्रा साधना बोल पड़ी, कहा कि चुनावों में बड़े वादे कोई नई बात नहीं है, अहम मुद्दा है कि उसपर काम कितना होगा।
अब उसकी सहेली प्रतिमा भी चर्चा में शामिल हो गई, वर्तमान सरकार को आड़े हाथ लिया और वादों की याद दिलाई। उसके तीखे सवालों पर लोग मुस्कुराए भी। साधना ने सबका एक ही हाल है कह कर बात खत्म की। अब तक बस ओरमांझी पहुंच चुकी थी, चौड़ी सड़क पर झटके कम हो गए थे। मैंने भी सीट पर पीठ टिका कर कुछ नोट करना शुरू कर दिया। महिलाओं का विचार जानने के लिए उनकी ओर मुखातिब हुआ। उनके मुद्दे पर बात चली तो अब तक चुपचाप सुन रही रेखा देवी ने आंचल ठीक करते हुए कहा कि उन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं दिए जाने से वे सरकार से नाराज हैं। हालांकि, उन्होने इस बात को स्वीकार किया कि उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत के तहत उन्हें और अन्य लोगों को फायदा हुआ है।
रोजगार के मुद्दे पर आगे बैठे युवक विनेश और शुभांकर ने सरकार के पक्ष में बात रखी और कहा कि कांग्रेस का घोषणा पत्र महज चुनावी स्टंट है। देशद्रोह की धारा खत्म करने के विरोध में युवतियों ने भी दोनों युवकों का साथ दिया, कहा धारा हटनी नहीं चाहिए। अंत तक कंडक्टर और देर से चढ़े यात्रियों ने भी बहस में अपनी बातें रखी। हमारा स्टॉपेज आने को था, मेरे साथी फोटो जर्नलिस्ट करुण ने बस में बैठे लोगों को अपने कैमरे में कैद किया।
अपना बैग उठा कर हम निकलने को तैयार हुए। युवती ने पूछा- भैया आपलोग किस अखबार से हैं, हमने मुस्कुरा कर दैनिक जागरण कहा। उसने फिर पूछा - कब छपेगा? मैनें कहा कल। बस रूकी, हम उतरे, जाते हुए यात्रियों ने हाथ हिला कुछ इस अंदाज में विदा किया जैसे चर्चा में मजा आ रहा था कुछ और बात होती तो और मजा आता।