इस गुरुकुल की दीक्षा से हजारों शिष्य बने अर्जुन

Praveen Upadhayay's picture

Rga News

वृंदावन:- युग प्रवर्तक महर्षि दयानंद सरस्वती की दीक्षा स्थली व महात्मा नारायण स्वामी की तप स्थली पर गुरुकुल विवि की स्थापना को आर्यन पेशवा राजा महेंद्र प्रताप ने 65 एकड़ भूमि शिक्षा जगत में नए आयाम स्थापित करने के लिए दी थी। गुरुकुल विवि में हजारों छात्रों ने आयुर्वेद शिरोमणि की डिग्री हासिल कर नए आयाम स्थापित किए हैं। इधर, योग गुरु बाबा रामदेव को गुरुकुल की जमीन देने की चर्चाओं के बीच विरोध के स्वर भी मुखर हो रहे हैं।

एक समय था जब गुरुकुल विश्वविद्यालय भारत की प्रमुख सामाजिक एवं राष्ट्रीय शिक्षण संस्था रही। सरकार के नियमों से बाधित हुई आयुर्वेद शिरोमणि डिग्री के बाद संस्था में बिखराव शुरू हो गया। आज गुरुकुल वेद विद्यालय का संचालन हो रहा है।

आर्यन पेशवा राजा महेंद्र प्रताप की ओर से सन 1902 में 65 एकड़ भूमि दी थी। इसपर 16 दिसंबर 1911 में आर्य जगत के महात्मा नारायण स्वामी की अगुवाई में गुरुकुल विवि शुरू हुआ। स्थापना के साथ ही गुरुकुल ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयुर्वेद शिरोमणि (बीएएमएस) के अलावा साहित्य, इतिहास, आध्यात्म व राजनीति के विभिन्न क्षेत्रों में यहां से स्नातक छात्र देशभर की विभिन्न संस्थाओं में शिखर तक पहुंचे।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने खुद दीक्षांत समारोह में पहुंचकर स्नातकों को डिग्री प्रदान की थी। इनके अलावा महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, गोविद बल्लभ पंत, महामना मदनमोहन मालवीय, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, सरोजनी नायडू जैसी राष्ट्र विभूतियों ने गुरुकुल पहुंचकर यहां का गौरव बढ़ाया था।

धीरे-धीरे समय ने करवट ली और त्यागी, तपस्वी, योग्य आचार्यों एवं पदाधिकारियों का स्थान भोग विलास तथा स्वार्थी तत्वों के हाथ पहुंचा। गुरुकुल की प्रतिष्ठा धूल धूसरित होने लगी। संसाधनों की बिक्री शुरू हो गई, रसोई के बर्तन तक तत्कालीन संचालकों ने बेच डाले।

ऐसे में उप्र आर्य प्रतिनिधि सभा में परिवर्तन हुआ और गुरुकुल की दशा में भी कुछ बदलाव नजर आने लगा।

गुरुकुल विश्वविद्यालय की मान्यता खारिज होने के बाद आर्य प्रतिनिधि सभा ने गुरुकुल वेद मंदिर की स्थापना कर इसके संचालन की जिम्मेदारी आचार्य स्वदेश को दी। वर्तमान में आचार्य स्वदेश स्वामी रामदेव व उनके अनुयायियों की मदद से गुरुकुल वेद विद्यालय का संचालन कर रहे हैं और 186 बच्चे वेद अध्ययन कर रहे हैं। -गुरुकुल में 1986 तक चली बीएएमएस की शिक्षा

गुरुकुल विवि में आयुर्वेद शिरोमणि (बीएएमएस) की शिक्षा 1986 तक ही चली। सूबे की जनता सरकार में तत्कालीन शिक्षामंत्री रहे कल्याण सिंह ने नियम बनाया कि जो विवि चार साल की आयुर्वेद की डिग्री दे रहे हैं, वहां पांच वर्षीय कोर्स लागू हो। आयुर्वेद शिरोमणि के लिए एमबीबीएस की तरह प्रतियोगी परीक्षा पास को ही तरजीह मिले। गुरुकुल विवि ने इसका विरोध किया और अदालत से स्टे ले लिया। बावजूद इसके 1986 तक विवि में आयुर्वेद शिरोमणि (बीएएमएस) की शिक्षा दी गई। इसके बाद मान्यता रद हो गई।

उखाड़ देंगे, सबक सिखा देंगे

-बाबा राजा महेंद्र प्रताप ने शिक्षण कार्य के लिए गुरुकुल विश्वविद्यालय को बाग की भूमि प्रदान की थी। जानकारी मिली है कि जो वर्तमान में जो लोग गुरकुल का संचालन कर रहे हैं वे इस भूमि पर फैक्ट्री लगा कर व्यापार करना चाहते हैं। ये हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि यहां पर ब्रज संस्कृति के संरक्षण को विश्वविद्यालय की स्थापना हो। अगर इसका संचालन आर्य प्रतिनिधि सभा नहीं कर पा रही है तो राजा महेंद्र प्रताप के नाम से हमारा ट्रस्ट इसके संचालन की जिम्मेदारी लेने को तैयार है। इस भूमि का दुरुपयोग किया गया तो संपूर्ण समाज तथा राजा महेंद्र प्रताप के अनुयाई जन आंदोलन करके इन सब को उखाड़ देंगे और जो कोई इसके बीच में आएगा उसको सबक सिखा देंगे।

-चरत प्रताप सिंह, प्रपौत्र राजा महेंद्र प्रताप सिंह

News Category: 
Place: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.