आसमान से मिले दर्द पर अब सरकारी मलहम की आस

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पिथौरागढ़ सीमांत के लघु काश्तकार आसमानी आफत का शिकार बन चुके हैं। सफे...

पिथौरागढ़: सीमांत के लघु काश्तकार आसमानी आफत का शिकार बन चुके हैं। सफेद गोलों के रू प में आसमान से गिरे सफेद गोली से काश्तकारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। खुद का पसीना बहा कर खेतों में तैयार फसल के बर्बाद होने से परेशान काश्तकार अब मदद के लिए सरकार का मुंह ताक रहा है। सरकारी महकमे कब क्षति का आंकलन करेंगे। आंकलन के बाद काश्तकारों को क्या मिलेगा यह तो समय बताएगा। अतीत में हुई क्षति के बदले मुआवजे को लेकर काश्तकार आसमान और अपने भाग्य को कोस रहे हैं। ========= तीन बार हो चुकी है ओलावृष्टि

पिथौरागढ़ : जिले के आठों विकास खंड मौसम की मार झेल रहे हैं। कुछ विकास खंडों में दो बार तो कुछ विकास खंडों में तीन बार ओलावृष्टि हो चुकी है। जिले में विण (पिथौरागढ़), मूनाकोट का आधा हिस्सा, कनालीछीना का नेपाल सीमा से लगा क्षेत्र, बेरीनाग, डीडीहाट का विकास खंड मुख्यालय से लगा क्षेत्र, मुनस्यारी, धारचूला का काली नदी घाटी क्षेत्र, गंगोलीहाट का टिम्टा क्षेत्र ओलावृष्टि से प्रभावित है। ओलों की जबरदस्त मार से फसलों, फलों और साग सब्जियां नष्ट हो चुकी हैं। ======== जिले में 32 हजार हेक्टेयर में होती है रबी की फसल पिथौरागढ़ जिले में 32000 हेक्टेयर में रबी की फसल उगाई जाती है। जिसमें सबसे अधिक गेहूं की फसल रहती है। इसके अलावा जौं, मसूर और सरसों की खेती होती है। जिले में मात्र 32 फीसद भूमि ही सिंचित है और शेष असिंचित है। ======= पीएम कृषि बीमा भी नहीं देगा राहत पिथौरागढ़ जिले में 73 हजार काश्तकार है। प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना के तहत मात्र 2400 काश्तकारों का बीमा है। बीमा कंपनी के नियम ओलावृष्टि से प्रभावित बीमाधारक किसानों को बड़ी राहत देने वाला नहीं है। बीमा कंपनी के नियमानुसार ओलावृष्टि से हुई क्षति का आंकलन कटाई से 15 दिन पूर्व के हिसाब से किया जाता है। फसल कटाई के बाद राजस्व विभाग बीज के नुकसान का आंकलन करता है। इस रिपोर्ट पर बीमा राशि मिलती है। इस प्रक्रिया के तहत बीमा राशि मिलने में बहुत लंबा समय लग सकता है। ======== आफत के आपदा घोषित होने पर भी पेंच ओलावृष्टि से हुई क्षति के आपदा घोषित होने पर भी पेंच है। ओलावृष्टि से हुई फसलों की क्षति का आंकलन कृषि विभाग और राजस्व विभाग करेंगे, परंतु इसे आपदा साबित करने का कार्य राजस्व का है। राजस्व द्वारा आपदा घोषित होने के बाद सरकार सहायता देती है। सरकार की मदद का मानक क्या होगा यह अभी तय नहीं है। बीते वर्षो के मानक इस कदर न्यून रहे कि अन्नदाताओं को सरकारी मदद लेने में शर्म महसूस होती रही है। ====== साग-सब्जी और फल भी बर्बाद जिले में 28 हजार हेक्टेयर भूमि पर साग-सब्जी तो 6143 हेक्टेयर भूमि पर शीतकालीन फलों का उत्पादन होता है। उद्यान विभाग के अनुसार अभी तक क्षति की कोई रिपोर्ट नहीं आई है। विभाग की तरफ से किसी तरह की मदद नहीं होती है सरकार की तरफ से ही मदद दी जाती है।

======= क्षति का आंकलन होगा। विभाग भी क्षति का आंकलन करता है और राजस्व विभाग भी करता है। शासन को राजस्व विभाग की रिपोर्ट जाती है। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार सहायता राशि तय करती है। प्रभावित किसानों में बीमा से आच्छादित काश्तकार आते हैं तो उन्हें बीमा राशि मिल सकती है।

- अमरेंद्र चौधरी, मुख्य कृषि अधिकारी, पिथौरागढ़

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