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बगहा । मैंने अपने बचपन में आजादी का जश्न मनाया। हालांकि, तब मेरी उम्र काफी कम थी और मुझे आजादी का असली मतलब तक पता नहीं था। लेकिन, देश में चारों ओर जश्न का ही माहौल था। आजादी के पूर्व मैंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नजदीक से देखा और उनकी बाते सुनीं। मैं स्थानीय क्रांतिकारी कमलनाथ तिवारी से मिला था। पहली बार 1952 मे लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ होना था। उस दौर में वोट देने के प्रति अजीब सी दीवानगी थी। मैं वोट देने पैदल ही बूथ तक गया था। उस समय कांग्रेस का चुनाव चिह्न हल और बैल था। दूसरी पार्टी जनसंघ थी। मैंने कांग्रेस को वोट दिया था। उपरोक्त बातें नगर के गुदरी बाजार निवासी 93 वर्षीय ब्रजबिहारी तिवारी उर्फ वैद्य जी ने कही। कहा कि राष्ट्रपिता के साथ पंडित जवाहर लाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मुरारजी देसाई व राजीव गांधी को सुनने का सौभाग्य मुझे मिल चुका है। आज की तरह उस दौर में चुनावी सभाओं के लिए भीड़ नहीं जुटानी पड़ती थी। प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी जब 1964 में गंडक बराज के शिलान्यास के लिए आए तो मैं वाल्मीकिनगर गया था। उस वक्त पिता के साथ आई इंदिरा गांधी की एक झलक पाने को हर युवा बेकरार था। अब सबकुछ बदल सा गया है। ऐसा लगता है जैसे कोई प्रत्याशी पैराशूट से लोकसभा क्षेत्र में उतर आया हो। पैसे का बहुत महत्व हो गया है। ये देश के लिये ठीक नहीं है। हमें अपना वोट ईमानदार, शिक्षित प्रत्याशी को देना चाहिए। देश के विकास के लिये शत-प्रतिशत मतदान आवश्यक है। इससे स्थिर सरकार बनती है।