RGA News, ब्यूरो चीफ आगरा सोनू शर्मा
शाहजहां के मुसम्मन बुर्ज को संवारेगा एएसआइ। निकले पत्थर लगाए जाएंगे। खराब पैनल बदले जाएंगे। टूटी हुई संगमरमरी जाली की होगी मरम्मत।...
आगरा:- मुसम्मन बुर्ज। धवल संगमरमरी भवन के जर्रे- जर्रे में पच्चीकारी और कार्विंग का काम मुगलकालीन स्थापत्य कला की खूबसूरती और कारीगरों के जुनून की कहानी बयां करता नजर आता है। ताज देखने आने वाले पर्यटकों को गाइड शाहजहां द्वारा अंतिम समय में मुसम्मन बुर्ज से ही ताज देखने के किस्से सुनाते हैं। इसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) कराने जा रहा है।
आगरा किला में अष्टकोणीय मुसम्मन बुर्ज यमुना किनारा की तरफ बना हुआ है। किले की सबसे ऊंची अट्टालिका पर बना यह भवन पूर्व मुखी है। समय के साथ इसके कुछ संगमरमर के पैनल खराब हो गए हैं। सामने की ओर का तोड़ा भी टूटा हुआ है। जगह-जगह से पच्चीकारी के पत्थर निकल गए हैं। संगमरमर की जाली भी टूट गई है। ब्रिटिश काल में कुछ जगहों से पच्चीकारी के काम वाले खराब पैनल निकालकर उनकी जगह पर केवल संगमरमर लगा दिया गया था। पच्चीकारी के निकले पत्थरों की जगह पर मसाला भर दिया गया था। अब एएसआइ द्वारा इसके संरक्षण की तैयारी है। यहां खराब हुए पैनल बदले जाएंगे। पच्चीकारी के निकले हुए पत्थर दोबारा लगाए जाएंगे। टूटे हुए तोड़े और जाली को सही किया जाएगा। इसके लिए खाई से लेकर ऊपर तक पाड़ बांधी जाएगी। संरक्षण पर करीब 24 लाख रुपये की लागत आएगी।अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि मुसम्मन बुर्ज के संरक्षण की योजना है। यहां शीघ्र ही संरक्षण का काम शुरू कराया जाएगा।
अकबर ने कराया था निर्माण
एएसआइ द्वारा आगरा किला में लगाए गए सांस्कृतिक नोटिस बोर्ड के अनुसार मुसम्मन बुर्ज को शाह बुर्ज या झरोखा भी कहा जाता है। इस बुर्ज का निर्माण शहंशाह अकबर ने झरोखा दर्शन के लिए रेड सैंड स्टोन से करवाया था। वो यहीं से सूर्योदय के समय सूर्य की उपासना किया करता था। जहांगीर भी इसका इस्तेमाल झरोखे के रूप में करता था। उसने इसके दक्षिण में अपनी न्याय की जंजीर लगवाई थी। वर्ष 1632-40 में शहंशाह शाहजहां ने इसका निर्माण संगमरमर से कराया था। वो भी इसका इस्तेमाल झरोखा दर्शन को करता था। यह भवन बुर्ज खास महल, दीवान-ए-खास, शीश महल और अन्य भवनों से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1658 से 1666 तक औरंगजेब की कैद में किले में बंदी के रूप में शाहजहां यहीं रहा था। उसकी मृत्यु भी इसी भवन में हुई थी।
पर्यटकों का प्रवेश है प्रतिबंधित
मुसम्मन बुर्ज में पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित है। वो स्मारक को बाहर से ही देख पाते हैं। एएसआइ ने यहां स्टेनलेस स्टील के पाइप की रैलिंग व गेट लगा रखा है। खाई की तरफ होने की वजह से इसे सुरक्षा कारणों की दृष्टि से बंद कर दिया गया था।