पेयजल किल्‍लत वाले गांव में ग्रामीणों ने पेश की नजीर, दुल्‍हन को गिफ्ट में दिया पानी

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मध्‍यप्रदेश के खरगोन जिले के एक गांव में आयोजित शादी समारोह में ग्रामीणों ने दुल्हन को महंगे उपहार की जगह पानी के रूप में अनमोल भेंट दी। ...

भगवानपुरा (खरगोन):-शादी में जाने से पहले आप कितनी बार सोचते हैं की क्‍या गिफ्ट लेकर जाएं, मगर मध्‍यप्रदेश में एक गांव ऐसा भी है जहां लोग गिफ्ट के तौर पर पानी लेकर पहुंचे। पानी की कीमत शायद आप तब तक नहीं समझ पाते जब तक आप इसकी किल्‍लत को नहीं देखे हों। शादी-ब्‍याह जैसे समारोह में जहां लोगों को बड़े तौर पर जमावरा होता है वहीं पानी की कितनी ज्‍यादा मात्रा में जरूरत होती है यह आप सोच ही सकते हैं।

ग्रामीणों ने की अनूठी पहल 
मध्‍यप्रदेश के खरगोन जिले के एक गांव में आयोजित शादी समारोह में ग्रामीणों ने दुल्हन को महंगे उपहार की जगह पानी के रूप में अनमोल भेंट दी। जिस गांव में यह शादी थी, वहां के बाशिंदे भीषण जलसंकट से जूझ रहे हैं। संकट का समाधान निकालने के लिए ग्रामीणों ने यह अनूठी पहल की।

दुर्गम पहाड़ियों में बसा है यह आदिवासी गांव
जिला मुख्यालय से करीब 62 किमी दूर दुर्गम पहाड़ियों में बसे आदिवासी गांव रायटेमरी में 22 मई को कुंवर सिंह की बेटी की शादी थी। शादी की तैयारियों की बीच सामूहिक भोज में सबसे बड़ी चुनौती पेयजल की बनी। लगभग 250 लोगों के लिए भोजन के साथ पानी की व्यवस्था करना मुश्किल था, क्योंकि गांव में भीषण जलसंकट है।

सरपंच तक पहुंची समस्‍या
कुंवर सिंह ने यह समस्या सरपंच और ग्रामीणों से साझा की। आखिर में तय किया गया कि गांव के आमंत्रित परिवार भोजन करने आएं तो पानी का उपहार लाएं। ग्रामीण दिनेश पटेल, राम सिंह और वाहरिया ने बताया कि लगभग हर परिवार 300 लीटर क्षमता का ड्रम पानी से भरकर बैलगाड़ी के जरिये शादी वाले घर पहुंचा। देखते ही देखते कुंवर सिंह के यहां रखी तीन हजार लीटर की टंकी लबालब हो गई। सरपंच जागीराम जमरे व अन्य ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि अब किसी भी आयोजन में पानी का उपहार देने की परंपरा बनाए रखेंगे।

छह किमी दूर से लाते हैं पानी 
सरपंच जमरे ने बताया कि 268 परिवारों के इस गांव का एकमात्र हैंडपंप और कुआं सूख गया है। लगभग छह किमी दूर पहाड़ी उतरकर झीरे (पानी का छोटा सा स्रोत) से पानी उलीचना पड़ता है। पूरे परिवार के सदस्य दिनभर पानी की जद्दोजहद में जुटे रहते हैं। उन्हें दुख है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कोई भी प्रतिनिधि इस गांव तक नहीं पहुंचा। इस गांव में आवागमन का भी कोई साधन नहीं है। लगभग पांच किमी पैदल चलकर ग्रामीण एप्रोच रोड तक पहुंचते हैं।

समस्या का निराकरण करेंगे 
गंभीर जलसंकट से जूझ रहे इस गांव को चिन्हित किया गया है। आचार संहिता की वजह से काम रुक गए थे। अब आचार संहिता हट गई है। शीघ्र ही इस गांव की समस्या का निराकरण करेंगे।

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