RGA News, वाराणसी
गेज से नदियों के जलस्तर मापने की बात अब पुरानी हो जाएगी। नदियां ही नहीं डैम के भी घटते-बढ़ते जलस्तर पर पैनी नजर होगी।...
वाराणसी:- गेज से नदियों के जलस्तर मापने की बात अब पुरानी हो जाएगी। नदियां ही नहीं, डैम के भी घटते-बढ़ते जलस्तर पर पैनी नजर होगी। इसके लिए केंद्रीय जल आयोग की ओर से खास व्यवस्था अमल में लाई जा रही है। गेज, टेलीमेट्री सिस्टम के बाद अब रडार से जल स्तर मापने की योजना बनाई गई है। पहली बार इसमें डैम को भी शामिल किया जा रहा है ताकि पानी की हर चाल का पता चल सके। इसके तहत उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ की साइटें भी आधुनिक बनाई जानी है।
इन साइटों पर लगेंगे रडार सिस्टम : आयोग के अनुसार 10 स्टेशनों मेजारोड (प्रयागराज), मेजाडैम (मीरजापुर), सिरसी डैम (मीरजापुर), मई घाट (जौनपुर), जिरगो डैम (मीरजापुर), बाढ़ सागर डैम (सहडौल-एमपी) व रिहंद डैम (सोनभद्र) पर रडार लगाए जाने हैं, जो सेंसर डेटा लॉगर युक्त रहेंगे। यह काम इसी माह शुरू होने जा रहा है। प्रदेश सरकार से ली जाएगी मदद जहां पर डैम हैं वहां पर केंद्रीय जल आयोग की ओर से रूफ टॉप पर रडार लगाया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार से भी मदद मांगी गई है। वैसे पहले फेज में 10 और दूसरे फेज में 19 साइटों पर टेलीमेट्री सिस्टम लगाया जा चुका है।
अब तीसरे फेज का कार्य शुरू होना है, जिसमें पहली बार बांध को भी शामिल किया गया है। सेंटर डेटा लॉगर से मिलेगी रिपोर्ट रडार सिस्टम से नदियों एवं डैम के जलस्तर की रिपोर्ट सेंसर डेटा लॉगर के माध्यम से सीधे आयोग के कंप्यूटर में चली जाएगी। इससे पहले यह व्यवस्था बबलर तकनीकी पर आधारित थी। जल शक्ति मंत्रालय का निर्देश भी है कि सभी साइटों को आटोमेटिक सिस्टम से जोड़ा जाएं। यह व्यवस्था पूरे देश में होने वाली है।
बोले अधिकारी : जलस्तर मापने के लिए रडार सेंसर पर आधारित तकनीकी का प्रयोग पहली बार होने जा रहा है। रडार से निकलने वाली अल्ट्रासोनिक रेज पानी में जाएगा। वहां से रिफ्लेक्ट होकर वापस आएगा जिससे जल स्तर की वास्तविक स्थिति पता चल जाएगी। दो साइटों मई घाट व मेजा रोड पर इसी सप्ताह यह व्यवस्था शुरू करने की तैयारी की गई है। -शाश्वत राय, अधिशासी अभियंता केंद्रीय जल आयोग (वाराणसी खंड)।