RGA News, दरभंगा बिहार
नगर निगम बोर्ड की बैठक शनिवार को महापौर वैजयंती देवी खेड़िया की अध्यक्षता में हुई। महापौर पर मनमानी का आरोप लगाते हुए लगभग डेढ़ दर्जन पार्षद बैठक में शामिल नहीं हुए।...
दरभंगा। नगर निगम बोर्ड की बैठक शनिवार को महापौर वैजयंती देवी खेड़िया की अध्यक्षता में हुई। महापौर पर मनमानी का आरोप लगाते हुए लगभग डेढ़ दर्जन पार्षद बैठक में शामिल नहीं हुए। बावजूद एजेंडा व आपातीय एजेंडा में शामिल 20 विषयों पर मुहर लग गई। लेकिन, नगर निगम के ग्रुप डी कर्मियों को आउटर्सोसिग पर किए जाने वाले विषय को अगली बैठक में विचार विमर्श के लिए लाने का प्रस्ताव पारित किया गया। लगभग 12 बजे महापौर की ओर से बैठक शुरू करने की बात कही गई। बैठक शुरू होते ही नगर विधायक संजय सरावगी की ओर से एजेंडा के प्रथम विषय 24 दिसम्बर 2018 के अनुमोदन पर विचार पर आपत्ति दर्ज की गई। कहा लगभग 7 माह बाद निगम की सामान्य बैठक हो रही है। यह गंभीर विषय है। जनता किसी को नही छोड़ेगी। उनकी बातों को सुनकर महापौर ने कहा कि अब नगर निगम बेहतर काम कर रहा है। भीषण जलसंकट के समय भी निगम की ओर से निजात की दिशा में बेहतर काम किया गया। उनके कार्यकाल से पूर्व जब काम नही हो रहा था तो आप कहा थे। नगर विधायक ने कहा कि वह एजेंडा के विषय पर बात कर रहे हैं। बैठक में शहरी क्षेत्र में जलसंकट के लिए बुडको व पीएचईडी विभाग की कार्यप्रणाली पर सदस्यों की ओर से काफी नाराजगी प्रकट की गई। सदस्यों ने कहा कि कनेक्शन लगाने की दिशा में बुडको कोई कार्य नही कर रहा है। पार्षदों ने बुडको के अभियंता से पूछा कि प्रतिदिन शहर में कितना कनेक्शन लगाया जा रहा है। बुडको के अभियंता ने बताया कि प्रतिदिन 15 कनेक्शन किया जा रहा है। जबकि 50 कर्मी काम में लगे है। नगर विधायक ने बुडको के अभियंता से पूछा कि प्रतिदिन कितना कनेक्शन होना है व कितने कर्मी को लगाया जाना है। बताया गया कि प्रतिदिन 131 कनेक्शन होना है और 150 कर्मी को कार्य करना है। लक्ष्य के अनुरूप कनेक्शन नही होने की बात पूछने पर बुडको के अभियंता ने वरीय अधिकारी से बात करने की बात कहीं। बैठक में उपमहापौर बदरूजम्मां खां, नगर आयुक्त डॉ. रविद्र नाथ, सिटी मैनेजर नागमणि सिंह, सहायक नगर अभियंता सउद आलम के अलावा लगभग दो दर्जन पार्षद उपस्थित थे। कानूनी राय लेने के बाद मुद्दे पर रखेंगे विचार :
नगर निगम कार्यालय आने के बाद भी लगभग डेढ़ दर्जन पार्षद बैठक में शामिल नही हुए। सभी पार्षद बोर्ड की बैठक शुरू होने के बाद भी पार्षद कक्ष में बैठे रहें। इन पार्षदों का कहना था कि लगभग चार माह के बाद बोर्ड की बैठक हो रही है। इस दौरान पानी की किल्लत को लेकर लोग त्राहिमाम करते रहें। जिलाधिकारी के निर्देश पर पानी की टंकी खरीदकर ट्रैक्टर के माध्यम से वितरण कर कुछ हद तक स्थिति संभाली गई। लेकिन, महापौर आचार संहिता के नियम का हवाला देकर शांत रही। लोकायुक्त की तलवार पर लटकने के बाद महापौर से जब संविदा कर्मियों के संदर्भ में 30 जून तक हटाने को कहा गया तो आनन-फानन में 14 जून को स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई। इसमें उपमहापौर सहित दो सदस्यों के विरोध के बावजूद सफाई का जिम्मा निजी एजेंसी को देने का एजेंडा पारित कर गेंद बोर्ड के पाले में डाल दिया गया। जबकि इस मुद्दे पर महापौर को सभी पार्षदों से विचार विमर्श करने के लिए विशेष बैठक बुलानी चाहिए। साथ ही कानूनी राय भी लेनी चाहिए। बैठक में शामिल नही होने वाले पार्षदों का कहना था कि इस मुद्दे पर वैधानिक राय लेंगे और 15 दिन बाद अपना विचार रखेंगे।