RGA News, बागेश्वर
उत्तराखंड के पहाड़ पर पलायन का दर्द हर गांव बयां कर रहा है। पहाड़ी की पी...
पहाड़ पर पलायन का दर्द हर गांव बयां कर रहा है। पहाड़ी की पीड़ा को सही अर्थो में समझना है तो पलायन गांव जाइए। प्रदेश का दोफाड़ ग्राम पंचायत ऐसा पहला गांव होगा जो पूरी तरह खाली हो गया और जिसका नाम बदलकर बाद में पलायन ही कर दिया गया हो। अब गांव का नाम ही पलायन पड़ गया है। पलायन ग्राम पंचायत स्थाई और अस्थाई तौर पर लगातार खाली होते जा रहा है।
जिला मुख्यालय से मात्र 20 किमी दूरी पर स्थित है पलायन ग्राम पंचायत। लगभग 20 साल पहले तक बागेश्वर ब्लाक में दोफाड़ ग्राम पंचायत हुआ करती थी। जिसमें दोफाड़ एक हरा-भरा तोक हुआ करता था, लेकिन समय के साथ यह तोक पूरी तरह खाली हो गया। अब सरकारी दस्तावेजों में यह गांव गैर आबाद है। जब यह गांव खाली हुआ तो इस गांव का नाम बदलकर पलायन ही कर दिया गया। गांव का नाम पलायन किसने रख दिया किसी को पता नहीं। वर्तमान में पलायन ग्राम पंचायत की आबादी 573 हैं। जिनमें से महिलाओं की संख्या 290 व पुरुषों की संख्या 283 हैं। अगर गांव की स्थिति देखते तो यहां से भी लगातार स्थाई और अस्थाई तौर पर पलायन हो रहा है। अधिकतर लोग रोजगार व शिक्षा के लिए गांव से पलायन कर रहे हैं।
गांव में जाने के लिए सड़क नहीं है। लोगों को दोफाड़ से दो किमी पैदल चलकर गांव में पहुंचना पड़ता है। प्राथमिक व इंटर कॉलेज गांव के पास ही है, लेकिन यहां शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा इलाज के लिए 20 किमी दूर जिला मुख्यालय में आने को मजबूर होना पड़ता हैं। पानी के लिए ग्रामीण पूरी तरह से पेयजल स्त्रोतों पर ही निर्भर है। सरकार गांवों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए फिलहाल गंभीर नही दिखाई दे रही है।