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RGA न्यूज दिल्ली
लाल किले के रखरखाव की जिम्मेदारी डालमिया समूह को सौंपने से सियासी घमासान शुरू हो गया है। सरकार ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि उसने लाल किले से कंपनी पैसा नहीं कमाएगी। वहीं विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए उसकी नीयत पर सवाल उठाया है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सवाल खड़ा किया है कि इस ऐतिहासिक स्थल को किसी निजी हाथों में कैसे सौंप दिया गया है।
कुछ दिन पहले हुआ समझौता
कुछ ही दिन पहले एक उद्योग घराने ने पर्यटन मंत्रालय के साथ ‘धरोहर को गोद लेने’ की उसकी योजना के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। सहमति ज्ञापन के तहत द डालमिया भारत समूह धरोहर और उसके चारों ओर के आधारभूत ढांचे का रखरखाव करेगा। समूह ने इस उद्देश्य के लिए पांच वर्ष की अवधि में 25 करोड़ रुपये खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई
डालमिया समूह सुविधाएं देगा
पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, डालमिया समूह ने 17वीं शताब्दी की इस स्मारक पर छह महीने के भीतर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर सहमति जताई है। इसमें पेयजल कियोस्क, सड़कों पर बैठने की बेंच लगाना और आगंतुकों को जानकारी देने वाले संकेतक बोर्ड लगाना शामिल है। समूह ने इसके साथ ही स्पर्शनीय नक्शे लगाना, शौचालयों का उन्नयन, जीर्णोद्धार कार्य करने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही वह वहां 1000 वर्ग फुट क्षेत्र में आगंतुक सुविधा केंद्र का निर्माण करेगा। वह किले के भीतर और बाहर थ्रीडी प्रोजेक्शन मानचित्रण, बैट्री चालित वाहन, चार्ज करने वाले स्टेशन और थीम आधारित एक कैफेटेरिया भी मुहैया कराएगा।
95 स्मारकों का चयन
इस वर्ष 31 मार्च तक की स्थिति के अनुसार संभावित स्मारक मित्रों का चयन किया गया है। इनका चयन निरीक्षण एवं दृष्टि समिति द्वारा किया गया है ताकि 95 धरोहर स्मारकों पर पर्यटकों के अनुकूल सुविधाओं का विकास किया जा सके। इन 95 स्मारकों में लाल किला, कुतुब मीनार, हम्पी (कर्नाटक), सूर्य मंदिर (ओडिशा), अजंता गुफा (महाराष्ट्र), चारमीनार (तेलंगाना) और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम) शामिल हैं।
क्या धन की कमी हो गई : कांग्रेस
इस मुद्दे पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यहां कहा, वे इस प्रतिष्ठित स्मारक का निजी व्यवसाय के लिए इस्तेमाल करेंगे। भारत की अवधारणा के प्रति आपकी क्या प्रतिबद्धता है। भारत के इतिहास के प्रति क्या प्रतिबद्धता है? हम जानते हैं कि आपकी कोई प्रतिबद्धता नहीं है। लेकिन हम फिर भी आपसे पूछना चाहता हूं। उन्होंने पूछा, क्या आपके पास धन की कमी हो गई है। आखिर एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को दिया धन क्यों चूक जा रहा है। आप कैग रिपोर्ट को देखिए। अगर आपके पास धन नहीं है तो आपने राशि का उपयोग क्यों नहीं किया। इस परियोजना को पाने के लिए इंडिगो एयरलाइंस और जीएमआर समूह भी दौड़ में था।
कंपनियां पैसा खर्च करेगी, कमाएंगी नहीं : मंत्री
खेड़ा की टिप्पणी पर पर्यटन राज्यमंत्री के.जे. अल्फोंस ने कहा कि गत वर्ष शुरू की गई योजना के तहत मंत्रालय धरोहर स्मारकों को विकसित करने के लिए जन भागीदारी पर गौर कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘इस परियोजना में शामिल कंपनियां केवल पैसा खर्च करेंगी, पैसा कमाएंगी नहीं। वे आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए उनके लिए शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं मुहैया कराएंगी। वे यह बताने के लिए बाहर में बोर्ड लगा सकती हैं कि उन्होंने मूलभूत सुविधाएं विकसित की हैं। यदि वे राशि खर्च कर रही हैं तो उसका श्रेय लेने में कुछ गलत नहीं है
कांग्रेस ने क्या किया : अल्फोंस
उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं उन्होंने पिछले 70 वर्ष क्या किया। सभी धरोहर स्मारक और उसके आसपास स्थित सुविधाओं की स्थिति अत्यंत खराब है। कुछ स्थानों पर कोई सुविधा ही नहीं है।’
स्वतंत्र भारत का प्रतीक निजी घराने को क्यों : सीपीएम
सीपीएम ने फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि लाल किला सिर्फ देश की धरोहरों में से एक नहीं है बल्कि यह स्वतंत्र भारत का प्रतीक है। यहां से देश के प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं। इस प्रतिष्ठित स्थल को कारपोरेट कंपनी को सौंपना इसके तिरस्कार से कम नहीं है।
लाभ का काम नहीं : महेश
केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने एक ट्वीट में लिखा है, ‘राष्ट्रपति ने विश्व पर्यटन दिवस- 2017 पर भारत सरकार की एक योजना का ऐलान किया था। इसमें कहा गया था कि धरोहरों में कुछ सुधार के लिए अगर कोई रुचि रखते हों तो वे आगे आएं। इसी के तहत कुछ सेवाओं की जिम्मेदारी डालमिया समूह को दी गई है। वहां कोई लाभ का काम नहीं होगा।’
सोशल मीडिया पर भी जंग
लाल किले का रखरखाव निजी हाथों में देने पर सोशल मीडिया पर भी जुबानी जंग शुरू हो गई है। ट्वीटर पर लोग खुलकर अपने विचार रख रहे हैं। खान अनवारुल हक ने लिखा, बचपन में जोक सुनते थे कि कैसे एक ठग ने किसी को लाल किला बेच दिया! अरिंदम मजूमदार ने लिखा- शाहजहां का लाल किला अब डालमिया का हुआ। अगर इंडिगो बोली जीत लेता तो क्या इसे नीले रंग में रंगा जाता।