RGA न्यूज़ नई दिल्ली
नए संविधान के प्रावधानों के अनुसार अगले साल जुलाई के अंत में पद छोड़ना होगा क्योंकि उन्हें छह साल पद पर रहने के बाद अनिवार्य ब्रेक पर जाना होगा।...
नई दिल्ली:- 08 जुलाई 1972 को कलकत्ता में जन्में सौरव गांगुली को खराब प्रदर्शन के कारण 1992 में पदार्पण के तुरंत बाद भारतीय टीम से निकाल दिया गया था लेकिन 1996 में उन्होंने फिर वापसी की और चार साल बाद टीम इंडिया के कप्तान ही नहीं बने बल्कि वैश्विक क्रिकेट में भारत को लड़ना सिखाया। यह उनकी छवि का ही कमाल था कि जब उनका नाम बीसीसीआइ अध्यक्ष के तौर पर प्रस्तावित हुआ तो कोई विरोध नहीं कर सका। बंगाल का यह टाइगर अब बीसीसीआइ का नया टाइगर बन गया है।
मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद 2000 में सबसे बुरे दौर में भारतीय टीम के कप्तान बनने वाले गांगुली को आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग के बाद पहला पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया है। उम्मीद की जा रही है कि जैसे उन्होंने कप्तान के तौर चुनौतियों से पार पाकर भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया वैसा ही वह यहां भी करेंगे।
जुलाई के अंत तक कार्यकाल। नए संविधान के प्रावधानों के अनुसार अगले साल जुलाई के अंत में पद छोड़ना होगा क्योंकि उन्हें छह साल पद पर रहने के बाद अनिवार्य ब्रेक पर जाना होगा। भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे आकर्षक बायें हाथ के बल्लेबाजों में से एक गांगुली से उम्मीद की जा रही है कि वह बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के सचिव और अध्यक्ष रहने के अनुभव का पूरा फायदा उठाएंगे। उन्होंने कुछ लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसमें से एक प्रथम श्रेणी क्रिकेट के ढांचे का पुनर्गठन, प्रशासन को सही ढर्रे पर लाना और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) में भारत को उसकी मजबूत स्थिति फिर लौटाना है।
हितों के टकराव नियम को देखते हुए गांगुली के सामने बोर्ड और क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) एवं राष्ट्रीय चयन समिति में स्तरीय क्रिकेटरों को शामिल करने की चुनौती होगी। इसके अलावा अनुभवी विकेटकीपर महेंद्र सिंह धौनी के अंतरराष्ट्रीय भविष्य, डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट और स्थायी टेस्ट केंद्रों पर उनका नजरिया भी अहम होगा। गांगुली का कार्यकाल उस समय शुरू हो रहा है जब आइसीसी ने भारत को अपने नवगठित कार्यकारी समूह से बाहर कर दिया है, जिससे वैश्विक संस्था के राजस्व में देश का हिस्सा प्रभावित हो सकता है। इस समूह का गठन वैश्विक संस्था का नया संचालन ढांचा तैयार करने के लिए किया गया है।
बीसीसीआइ पदाधिकारियों की प्रोफाइल
जय शाह (सचिव) : 31 साल के जय बीसीसीआइ में सबसे युवा पदाधिकारी हैं। वह गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं और 2009 में गुजरात क्रिकेट संघ (जीसीए) से जुड़े थे। उन्हें सितंबर 2013 में जीसीए का संयुक्त सचिव चुना गया था।
अरुण सिंह धूमल (कोषाध्यक्ष) : अरुण भी एक राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं। उनके बड़े भाई अनुराग ठाकुर मौजूदा केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री हैं। ठाकुर जनवरी 2017 में बीसीसीआइ अध्यक्ष के पद से हटे थे। 44 साल के धूमल 2012 और 2015 में उस समय हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) के उपाध्यक्ष थे जब ठाकुर इसके अध्यक्ष थे। धूमल ने तीन सदस्यीय एडहॉक समिति की अगुआई भी की थी, जिसे एचपीसीए को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए चलाने के लिए बनाया गया था। उन्हें बीसीसीआइ में एचपीसीए के प्रतिनिधि होने का भी अनुभव है।
जयेश जॉर्ज (संयुक्त सचिव) : 50 साल के जयेश को क्रिकेट प्रशासन में कई वर्षो का अनुभव है। वह केरल क्रिकेट संघ (केसीए) के सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष और हाल में अध्यक्ष रह चुके हैं। वह 2005 से केसीए का हिस्सा हैं।
माहिम वर्मा (उपाध्यक्ष) : माहिम के पिता पीसी वर्मा उत्तराखंड क्रिकेट संघ (सीएयू) के सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। 45 साल के माहिम खुद भी 10 साल तक सीएयू के संयुक्त सचिव रहे, जिसके बाद सितंबर में बीसीसीआइ की मान्यता मिलने के बाद उन्हें संघ का सचिव नियुक्त किया गया।
गांगुली के सामने चुनौतियां
आइसीसी में भारत की स्थिति
-यह किसी से छिपा नहीं है कि आइसीसी में भारत की पकड़ कमजोर हुई है और आइसीसी के नए कार्यसमूह में बीसीसीआइ का कोई भी प्रतिनिधि नहीं है। बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के विश्वासपात्र सुंदर रमन द्वारा तैयार किए गए बिग थ्री मॉडल (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत) के तहत भारत को आइसीसी के राजस्व आवंटन मॉडल में से 57 करोड़ डॉलर मिलने थे। हालांकि शशांक मनोहर के आने के बाद भारत बिग थ्री मॉडल पर सहमति नहीं बना सका और उसे 2016-2023 सत्र के लिए 29 करोड़ 30 लाख डॉलर से ही संतोष करना पड़ा जो इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड से 15 करोड़ अधिक है। सौरव गांगुली को बीसीसीआइ प्रतिनिधि के तौर पर आइसीसी से बात करनी होगी जहां बोर्ड को 40 करोड़ डॉलर मिलने की संभावना है। गांगुली ने बुधवार को 37 करोड़ 20 लाख डॉलर मिलने की बात कही। वैसे अगर एन. श्रीनिवासन या सुंदर रमन बीसीसीआइ प्रतिनिधि के तौर पर आइसीसी में जाते हैं और बीसीसीआइ के पास ज्यादा मत नहीं होने की स्थिति में वहां टकराव की स्थिति बन सकती है।
आइसीसी टूर्नामेंटों को भारत में कर छूट
-गांगुली को बीसीसीआइ की कानूनी और वित्तीय टीमों से पूरा सहयोग चाहिए होगा क्योंकि आइसीसी भारत में सभी टूर्नामेंटों के लिए कर में छूट चाहती है। मनोहर ने यह भी चेतावनी दी है कि करों का सारा बोझ बीसीसीआइ के सालाना राजस्व पर पड़ेगा। इसका हल यह निकल सकता है कि आइसीसी के प्रसारक स्टार स्पोर्ट्स को कर का बोझ वहन करने को कहा जाएगा जिसका भारत में पूरा बुनियादी ढांचा है और उसे प्रोडक्शन उपकरण आयात नहीं करने होंगे।
हितों का टकराव
-सौरव गांगुली खुद इसके भुक्तभोगी हैं और उन्होंने सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण जैसे अपने साथियों को भी इस विवाद का सामना करते देखा है। इस नियम के मुताबिक एक व्यक्ति एक ही पद संभाल सकता है। इससे क्रिकेट सलाहकार समिति और राष्ट्रीय चयन समिति में अच्छे क्रिकेटरों को लाने के विकल्प कम हो जाएंगे। हालांकि सीओए ने अपने आखिरी स्टेट रिपोर्ट में इस नियमों में सुप्रीम कोर्ट से थोड़ी रियायत देने की मांग की थी। अगर सुप्रीम कोर्ट यह मान लेती है तो गांगुली के लिए इस मसले को हल करना आसान हो सकता है।
गांगुली ने फिर पहना टीम इंडिया का ब्लेजर
मुंबई : सौरभ गांगुली को आज भी कप्तानी के अपने पुराने दिनों से ज्यादा जुड़ाव है। बीसीसीआइ की एजीएम में पहुंचे दादा ने जो ब्लेजर पहना था, वह बेहद खास था। गांगुली अपना वह ब्लेजर पहनकर आए, जो उन्हें भारतीय टीम का कप्तान बनने पर मिला था। गांगुली ने बताया, मुझे यह ब्लेजर तब मिला था, जब मैं भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था इसलिए इस खास मौके पर मैंने इसे पहनने का फैसला किया। इसके साथ दादा ने अपने इस ब्लेजर की फिटिंग पर चुटकी भी ली और कहा, मुझे यह अहसास ही नहीं हुआ कि यह अब ढीला हो चुका है। गांगुली ने करीब 11 साल पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था।
बीसीसीआइ के अब तक के अध्यक्ष
क्रमांक, अध्यक्ष, कार्यकाल
1. आरई ग्रांट गोवन, 1928-1933
2. सर सिकंदर हयात खान, 1933-1935
3. नवाब हमीदुल्लाह खान, 1935-1937
4. महाराजा केएस दिग्विजय सिंह, 1937-1938
5. पी सुब्रायण, 1938-1946 तक
6. एंथनी एस. डिमेलो, 1946-1951
7. जेसी मुखर्जी, 1951-1954
8. महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम, 1954-1956
9. सरदार एसएस मजीठिया, 1956-1958 तक
10. आरके पटेल, 1958-1960
11. एमए चिदंबरम, 1960-1963
12. महाराजा एफ. गायकवाड़, 1963-1966 तक
13. जेडआर ईरानी, 1966-1969
14. एएन घोष, 1969-1972
15. पीएम रूंगटा, 1972-1975
16. रामप्रकाश मेहरा, 1975-1977
17. एम. चिन्नास्वामी, 1977-1980
18. एसके वानखेड़े, 1980-1982
19. एनकेपी साल्वे, 1982-1985
20. एस. श्रीरामन, 1985-1988
21. बीएन दत्त, 1988-1990
22. माधवराव सिंधिया, 1990-1993
23. आइएस बिंद्रा, 1993-1996
24. राजसिंह डूंगरपुर, 1996-1999
25. एसी मुथैया, 1999-2001
26. जगमोहन डालमिया, 2001-2004
27. रनबीर सिंह महेंद्रा, 2004-2005
28. शरद पवार, 2005-2008
29. शशांक मनोहर, 2008-2011
30. एन. श्रीनिवासन, 2011-2013
31. जगमोहन डालमिया (अंतरिम), 2013
32. एन. श्रीनिवासन, 2013-2014 तक
33. शिवलाल यादव (अंतरिम), 2014
34. सुनील गावस्कर (अंतरिम आइपीएल), 2014
35. जगमोहन डालमिया (कार्यकाल के दौरान निधन), 2015
36. शशांक मनोहर (इस्तीफा देने तक), 2015-2016 तक
37. अनुराग ठाकुर (बर्खास्त किए जाने तक), 2016-2017 तक
38. सीके खन्ना (अंतरिम), 2017 से 2019 तक
39. सौरव गांगुली, 2019 से
प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाले बीसीसीआइ के अध्यक्ष
-केएस दिग्विजय सिंह जी
-एंथनी एस. डिमेलो
-महाराजकुमार ऑफ विजयनगरम
-महाराजा एफ. गायकवाड़
-रामप्रकाश मेहरा
-राजसिंह डूंगरपुर
-अनुराग ठाकुर
-सौरव गांगुली