
RGA न्यूज़ नई दिल्ली
नई दिल्ली:- प्रस्तावित नई शिक्षा नीति अब जल्द ही कुछ बड़े बदलावों के साथ सामने आएगी। फिलहाल इसकी पूरी तैयारी हो चुकी है। इसे लगभग अंतिम रुप दे दिया गया है। जो बड़े बदलाव सामने आए है, उनमें शिक्षा को मजबूती देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा आयोग की जगह अब राष्ट्रीय शिक्षा परिषद का गठन सबसे अहम है। इसके मुखिया मानव संसाधन विकास मंत्री होंगे, जबकि सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हस्तियां बतौर सदस्य इसमें शामिल होंगे।
इससे पहले प्रस्तावित नीति में आयोग बनाने की सिफारिश की गई थी, जिसका मुखिया प्रधानमंत्री को बनाया गया था, जबकि उपाध्यक्ष के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री के नाम का प्रस्ताव था। सूत्रों के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नीति को अंतिम रूप देते हुए इस सिफारिश को खारिज कर दिया है। हालांकि, इसके पीछे प्रधानमंत्री की व्यस्तताएं बताई जा रही है, जिसके चलते उनके लिए ऐसे आयोगों की जिम्मेदारी को ठीक तरीके से देख पाना मुश्किल होगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के गठन को मंजूरी दी गई है, जो कैब (केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड) की तर्ज पर ही राज्यों को साथ लेकर काम करेगी। हालांकि, इसका मुख्य फोकस शिक्षा को मजबूती देने के साथ नई शिक्षा नीति को राज्यों के साथ मिलकर लागू करना है।p
इसी बीच प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को लेकर आए करीब दो लाख सुझावों को अंतिम रुप दिया जा चुका है। नीति को अंतिम रुप दे रही टीम से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, प्रस्तावित नीति को लेकर आए सुझावों में बड़े पैमाने पर दोहराव था। यही वजह है कि इस काम को तय समय से पहले पूरा कर लिया गया है।
संसद में भी पेश होगी नीत
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप दिया जा चुका है। जल्द ही इसे कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। इसके बाद यही कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ, तो नीति को संसद में भी पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि कई सालों की मशक्कत के बाद यह नई शिक्षा नीति सामने आयी है। इसे इसी साल 30 मई को मानव संसाधन विकास मंत्री को सौंपा गया था। प्रस्तावित नीति को इसरो के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने तैयार किया था।