
RGA न्यूज़ नई दिल्ली
यूरोपीय संघ संयुक्त तौर पर भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। वर्ष 2018 में भारत व ईयू के बीच 115 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ था।...
नई दिल्ली:- यूरोपीय संघ के 27 सांसदों के दल के जम्मू व कश्मीर दौरे के राजनीतिक पहलुओं पर हो रही चर्चा के बीच इनके पीएम नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के दौरान उठे एक महत्वपूर्ण विषय पीछे छूट गया है। यह विषय है भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) का मुद्दा।
यूरोपीय संघ के सांसदों की पीएम मोदी से मुलाकात
यूरोपीय संघ के सांसदों ने पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे को उठाया था जिस पर पीएम ने उन्हें सकारात्मक भरोसा दिलाया था कि भारत एक परस्पर आर्थिक हितों को ध्यान में रखने वाले समझौते के प्रति गंभीर है और इस पर जल्द ही समझौते की उम्मीद रखता है। इस शुक्रवार को जब जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल के साथ नई दिल्ली में मोदी की द्विपक्षीय वार्ता होगी तब भी यह मुद्दा उठेगा। जर्मनी ईयू का सबसे मजबूत देश है और वह लगातार भारत के साथ विशेष व्यापार समझौते का समर्थक रहा है।
द्विपक्षीय व्यापार व निवेश समझौता पर वार्ता होगी नए सिरे से
माना जा रहा है कि भारत व यूरोपीय संघ के बीच एफटीए जैसा ही द्विपक्षीय व्यापार व निवेश समझौता (बीटीआइए) के लिए अगले वर्ष के शुरुआत में बातचीत नए सिरे से शुरु हो जाएगी। भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफटीए के लिए जारी वार्ता वर्ष 2013 में स्थगित कर दी गई थी। उस समय कहा गया था कि कई मुद्दों पर दोनो पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाने की वजह से इसे स्थगित किया जा रहा है।
यूरोपीय संघ की तरफ से प्रमुख वार्ताकार की नियुक्ति जल्द
वर्ष 2016 में बताया गया कि नए सिरे से बातचीत फिर शुरु की जाएगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक लेकिन उसके बाद ब्रेक्जिट और बाद में भारत में होने वाले चुनावों की वजह से बातचीत शुरु करने को लेकर तिथि निर्धारित नही हो पाई। अब दोनों पक्षों के बीच बातचीत फिर शुरु किये जाने को लेकर सहमति बन गई है। बातचीत के लिए यूरोपीय संघ की तरफ से प्रमुख वार्ताकार (आयुक्त) की नियुक्ति अगले कुछ दिनों के भीतर ही किये जाने के आसार हैं।
व्यापार व निवेश समझौता व्यापक असर वाला होना चाहिए
पूर्व में भारत व यूरोपीय संघ के बीच होने वाली ट्रेड वार्ता से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक पांच मुद्दे हैं जिन पर दोनों पक्षों के बीच भारी असहमति रही है। इसमें भारत की तरफ से उठाया गया सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि कोई भी व्यापार व निवेश समझौता व्यापक असर वाला होने चाहिए जिसमें सेवा उद्योग को भी शामिल किया जा सके।
ईयू की तीन सबसे बड़ी मांग
दूसरी तरफ ईयू की तीन सबसे बड़ी मांग यह रही है कि भारत उनके यहां से पूरी तरह से तैयार आटोमोबाइल को आयात की छूट दे और इन पर मौजूदा शुल्क की दरों को कम करे। दूसरी मांग यह है कि यूरोपीय वाइन पर शुल्क की दरें कम की जाए और तीसरी मांग भारत में होने वाली सरकारी खरीद में यूरोपीय संघ की कंपनियों को हिस्सा लेने का मौका मिले। उक्त अधिकारी के मुताबिक सरकारी खरीद और वाइन पर सीमा शुल्क की दर घटाने की मांग पर भारत अब लचीला रुख अपना सकता है। वैसे भी पिछले छह वर्षो में वैश्विक कारोबार के परिदृश्य में काफी बदलाव आ गया है।
द्विपक्षीय कारोबार बढ़ाने के लिए ईयू के साथ एफटीए करना सही कदम
तमाम कोशिशों के बावजूद भारत का निर्यात नहीं बढ़ पा रहा है। दूसरी तरफ यूरोपीय संघ संयुक्त तौर पर भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। वर्ष 2018 में भारत व ईयू के बीच 115 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ था। सरकार के भीतर यह सोच उभरी है कि ईयू के साथ एफटीए करना आगे द्विपक्षीय कारोबार बढ़ाने के लिए एक सही कदम होगा।