कल्याणकारी योजनाओं में नहीं होगी कोई कटौती, राजस्व संग्रह के मोर्चे पर विनिवेश की रफ्तार तेज करने में जुटा तंत्र

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RGA न्यूज़ नई दिल्ली

नई दिल्ली:- आर्थिक सुस्ती और राजस्व संग्रह की रफ्तार मनमाफिक नहीं होने के संकेतों के बीच आगामी आम बजट की तैयारियां भी वित्त मंत्रालय में शुरु हो गई हैं। अर्थव्यवस्था के अधिकांश मोर्चो से चुनौतीपूर्ण खबरों के आने के बावजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि उनकी सरकार कल्याणकारी योजनाओं में कोई कटौती नहीं करने जा रही। हालांकि सरकार को यह भी मालूम है कि यह तभी संभव होगा जब चालू वर्ष के दौरान विनिवेश कार्यक्रम से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य हासिल हो जाए। लिहाजा सरकार के सभी तंत्र फिलहाल एयर इंडिया, हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) जैसी बड़ी सरकारी उपक्रमों के निजीकरण की कोशिश में बेहद सक्रियता से जुट गई है

सरकारी सूत्रों के मुताबिक आर्थिक विकास दर की रफ्तार में इस वर्ष सुस्ती के ठोस संकेतों के बावजूद कल्याणकारी कार्यक्रमों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। ऐसा करने का मतलब होगा कि अगले वित्त वर्ष के लिए भी अर्थव्यवस्था को सुस्ती में ही बनाये रखना। ये कल्याणकारी योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को काफी हद तक प्रभावित करती हैं। ग्रामीण मांग में कमी होने के जो संकेत मिल रहे हैं वे कल्याणकारी योजनाओं में कटौती से और पक्के हो सकते हैं। इसलिए ग्रामीण विकास मंत्रालय या कृषि मंत्रालय के जरिए जो कल्याणकारी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं उनमें कोई कटौती नहीं की जाएगी।

चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के लिए 1.39 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह मंत्रालय पीएम कृषि सिंचाई योजना, पीएम फसल बीमा योजना जैसे कार्यक्रमों कई कार्यक्रमों को चलाता है जो सीधे तौर पर किसानों के हितों से जुड़ा है। इसी तरह से ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान 1.20 लाख करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया गया है। यह मंत्रालय मनरेगा, पीएम आवास योजना (ग्रामीण) व पीएम ग्राम सड़क योजना को लागू करता है।

कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकार को जिस तरह की फंड की जरुरत है उसका एक बड़ा हिस्सा विनिवेश कार्यक्रमों से ही जुटा पाना संभव है। यही वजह है कि पिछले एक पखवाड़े के दौरान विनिवेश को लेकर कई तरह की गतिविधियां एक साथ शुरु हो गई हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा भी है कि एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) में विनिवेश को हर हाल में मार्च, 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। इन दोनो कंपनियों का रणनीतिक विनिवेश का फैसला किया गया है यानी सरकार अपनी बड़ी हिस्सेदारी के साथ पूरा प्रबंधन नियंत्रण भी छोड़ने को तैयार है। माना जा रहा है कि सिर्फ एयर इंडिया और बीपीसीएल से ही वर्ष 2019-20 के लिए तय 1.05 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर लिया जाएगा।

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