RGA न्यूज़ नई दिल्ली
शिवसेना को अनौपचारिक रूप से प्रारूप के बारे में जानकारी दे दी गई है। शुक्रवार को औपचारिक फैसला हो सकता है।...
नई दिल्ली:- महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रहा असमंजस अब पूरी तरह खत्म हो गया है। शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने पर कांग्रेस वर्किग कमेटी ने भी मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि शुक्रवार को महाराष्ट्र में एक बार कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना नेताओं के बीच बैठक होगी और उसके बाद सरकार गठन की घोषणा कर दी जाएगी। कोशिश है कि नवंबर में ही नई सरकार का शपथ ग्रहण हो जाए।
महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार गठन में सबसे बड़ा असमंजस कांग्रेस के अंदर ही था। दरअसल वह कट्टर हिंदुत्व विचारधारा वाली शिवसेना के साथ जाने से असहज थी। पार्टी के अंदर ही अलग अलग सुर थे। लेकिन बताते हैं कि पिछले एक सप्ताह से ज्यादा चले बैठकों के दौर में तीनों दलों के बीच यह सहमति बन गई है कि हर किसी को कुछ समझौता करना ही होगा। वर्तमान राजनीतिक माहौल में वह महसूस कर रहे हैं कि महाराष्ट्र जैसे अहम राज्य में सत्ता में वापसी जरूरी है।
बुधवार को कांग्रेस और एनसीपी नेताओं की हुई थी बैठक
यूं तो बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान, प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे और एनसीपी नेताओं के बीच बैठक के बाद ही सरकार गठन का रास्ता साफ हो गया था। गुरुवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस कार्यसमिति के बाद इस पर मुहर लग गई। सूत्रों के अनुसार समिति ने सरकार बनाने को सैद्धांतिक रूप से हरी झंडी दे दी है।
शुक्रवार को कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की बैठक
उसके बाद दिल्ली में शरद पवार के आवास पर कांग्रेस के अहमद पटेल, खड़ग, जयराम रमेश, एनसीपी की सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल, अजीत पवार समेत दूसरे नेताओं की बैठक हुई और प्रारूप पर मोटी चर्चा हो गई। शुक्रवार को महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की बैठक हो सकती है और संभव है उसके तत्काल बाद सरकार बनाने की घोषणा हो जाए। शिवसेना को भी अनौपचारिक रूप से प्रारूप के बारे में जानकारी दे दी गई है। शुक्रवार को औपचारिक फैसला हो सकता है।
50:50 फार्मूले पर लागू होगा मुख्यमंत्री पद
हालांकि अभी कांग्रेस और एनसीपी नेताओं की ओर से सरकार के प्रारूप पर कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद पर 50:50 फार्मूला लागू होगा। यानी पहले ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा और बाकी के ढाई साल एनसीपी। जबकि उपमुख्यमंत्री पद पूरे पांच साल कांग्रेस के पास रहेगा। मंत्री पद में संख्या बल के हिसाब से हिस्सेदारी होगी और अहम मंत्रालयों में भी तीनों दलों का प्रतिनिधित्व होगा। सरकार के लिए एक साझा कार्यक्रम तैयार होगा और लगातार समन्वय के लिए भी कोई व्यवस्था तैयार की जा सकता है ताकि विचारधारा के कारण विवाद की स्थिति न खड़ी हो।
बताया जा रहा है कि तीनों दलों की ओर से राज्यपाल को अलग अलग पत्र देकर जानकारी दी जाएगी कि वह साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते हैं। कोशिश यह होगी कि जल्द से जल्द सरकार का गठन हो।