RGA न्यूज़ दिल्ली
नई दिल्ली:- पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से गुरुवार को पहाड़ी और उत्तर भारत के राज्यों में बारिश ने मैदानी इलाकों में ठिठुरन बढ़ा दी है। अधिकतम तापमान में बुधवार की तुलना में दो डिग्री सेल्सियस की कमी आई है। मौसम विज्ञानी डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि बारिश की वजह जम्मू-कश्मीर में बना पश्चिमी विक्षोभ है। आमतौर पर मौसम की ऐसी गतिविधियों की वजह से न्यूनतम तापमान में 4 से 5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होती है और गुरुवार के दिन भी ऐसा ही हुआ।उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, पिथौरागढ़, रूद्र प्रयाग, उत्तर काशी में भारी बारिश और बर्फबारी के कारण शनिवार को सभी आंगनबाड़ी केंद्र, सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद रहेंगे।
शुक्रवार को भी बारिश की संभावना है। हरियाणा में न्यूनतम पांच डिग्री के साथ कैथल सबसे ठंडा रहा। ताजा बर्फबारी और बारिश से उत्तराखंड भी कड़ाके की ठंड की चपेट में है। हिमाचल प्रदेश में भी सीजन के पहले हिमपात ने पहाड़ों के साथ मैदानी इलाकों का तापमान गिरा दिया है। जम्मू में भी वैष्णो देवी भवन और मार्ग पर सीजन की पहली बर्फबारी हुई। हवाई सेवाएं भी बाधित हुई है।
हिमाचल प्रदेश में 10 डिग्री गिरा न्यूनतम तापमान
हिमाचल प्रदेश ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश से शीतलहर तेज हो गई। प्रदेश में अधिकतम व न्यूनतम तापमान में आठ से 10 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है। शिमला और मनाली में सर्दी के मौसम का पहला हिमपात हुआ। बर्फबारी के कारण मनाली-लेह, औट-बंजार-सैंज और ग्रांफू-समदो राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गए। कुल्लू जिले में मनाली में बर्फबारी होने पर पर्यटक खुशी से झूम उठे। रोहतांग दर्रे में डेढ़ फीट हिमपात हुआ। भूस्खलन से 190 से अधिक सड़कें बंद रहीं।
श्रीनगर और जम्मू में बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त
जम्मू कश्मीर में बिगड़े मौसम के मिजाज गुरुवार को और तीखे हो गए। राज्य के सभी ऊपरी इलाकों में बर्फबारी और श्रीनगर व जम्मू सहित सभी निचले क्षेत्रों में दिनभर बारिश हुई। जवाहर टनल के पास बर्फबारी होने से जम्मू-श्रीनगर हाईवे को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। धुंध के कारण लगातार सातवें दिन भी श्रीनगर हवाई अड्डे पर सभी उड़ानें रद रहीं। इससे कश्मीर का सड़क व हवाई संपर्क देश-दुनिया से पूरी तरह कट गया है।
गेहूं की फसल के लिए संजीवनी
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इस समय बरसात गेहूं की फसल के लिए किसी संजीवनी से कम नही है। क्योंकि ठंड के साथ-साथ बरसात गेहूं की फसल में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करेगी। इससे कम खाद की जरूरत पड़ेगी। यदि ओलावृष्टि हुई तो ना केवल गेहूं बल्कि सरसों व अन्य सब्जियों की फसलों को नुकसान होगा।