पत्रकारों के साथ पुलिस हिंसा की एडिटर्स गिल्ड ने की आलोचना, गृह मंत्रालय से मांगी सुरक्षा

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RGA न्यूज़ नई दिल्ली

गिल्ड ने एक बयान में कहा कि बलों को याद रखना चाहिए कि पत्रकार समाचार जुटाने का अपना दायित्व पूरा करने के लिए प्रदर्शन स्थलों पर मौजूद होते हैं।...

नई दिल्ली:- एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में जारी प्रदर्शनों में पत्रकारों के खिलाफ की गई पुलिस की 'हिंसा एवं बर्बरता' की सोमवार को निंदा करते हुए कहा कि इस प्रकार के कदम लोकतंत्र की आवाज का 'गला घोंटते' हैं। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की रिपोर्टिग कर रहे कई पत्रकारों को हिरासत में लिया गया। इन पत्रकारों में 'द हिंदू' समाचार पत्र के संवाददाता उमर राशिद भी शामिल हैं, जिन्हें लखनऊ में हिरासत में लिया गया।

पुलिस द्वारा की गई हिंसा और बर्बरता की निंदा

गिल्ड ने एक बयान में कहा कि बलों को याद रखना चाहिए कि पत्रकार समाचार जुटाने का अपना दायित्व पूरा करने के लिए प्रदर्शन स्थलों पर मौजूद होते हैं। इसका अधिकार उन्हें संविधान ने दिया है। बयान में कहा गया है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में मीडियाकर्मियों के खिलाफ पिछले एक सप्ताह में पुलिस द्वारा की गई हिंसा और बर्बरता की निंदा करता है।

गृह मंत्रालय से मांगी पत्रकारों के लिए सुरक्षा

गिल्ड ने गृह मंत्रालय से कहा कि वह पुलिस को पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दे। इस समय पत्रकारों को निशाना बनाने के बजाय 'उचित' और 'जिम्मेदार' कवरेज सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। पत्रकारों के खिलाफ हिंसा जैसे कृत्यों से यह संभव नहीं है।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में यूपी और बिहार समेत देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए। यूपी में 10 दिसंबर से नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में 705 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान 15 लोग हताहत हुए और 263 पुलिस कर्मी घायल हुए। वहीं, भारतीय रेलवे को नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक विरोध में 88 करोड़ रुपये की रेलवे संपत्ति क्षतिग्रस्त हुई है।

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