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रूस में यह संवैधानिक संकट के पीछे राष्ट्रपति पुतिन की मंशा क्या है? पुतिन के दिमाग में आखिर क्या चल रहा है ? ...
नई दिल्ली:- इस समय रूस एक बड़े संवैधानिक संकट से गुजर रहा है। ऐसे में यह सवाल पैदा होता है कि इस संवैधानिक संकट के पीछे कौन है? रूस में यह संवैधानिक संकट के पीछे राष्ट्रपति पुतिन की मंशा क्या है? पुतिन के दिमाग में आखिर क्या चल रहा है ? दरअसल, पुतिन संविधान में जिस बड़े बदलाव की ओमप्रकाशमुंबई। इशारा कर रहे हैं, वह स्टेट काउंसिल है। इस स्टेट काउंसिल को सरकारी एजेंसी के तौर पर मान्यता देना चाह रहे हैं। ऐसे में यह यक्ष सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर स्टेट काउंसिल से पुतिन का क्या वास्ता है। इस स्टेट काउंसिल को पुतिन क्यों मजबूत करना चाहते हैं। इसके पीछे उनकी मंशा क्या है। आदि-आदि।
स्टेट काउंसिल के जरिए सत्ता पर काबिज रहने की मंशा
मौजूदा समय में स्टेट काउंसिल महज एक सलाहकार परिषद की तरह है। इसमें 85 क्षेत्रीय गवर्नर और राजनीतिक नेता हैं। पुतिन स्टेट काउंसिल को और शक्तिशाली बनाना चाहते हैं। उनकी मंशा है कि वह इस संस्था को शक्ति संपन्न बनाकर इसके शीर्ष नेता बन जाएं। दरअसल, इसके पीछे पुतिन की एक गुप्त महत्वाकांक्षा है। बतौर राष्ट्रपति अपने चौथे कार्यकाल पूरा करने से पहले वह एक ऐसी जगह की तलाश कर रहे हैं, जो राष्ट्रपति पद से भी अधिक शक्तिशाली हो और उसकी कमान पुतिन के पास हो। ऐसा करके पुतिन के अधिकार राष्ट्रपति से ऊपर हो जाए। अगर ऐसा हुआ तो पुतिन राष्ट्रपति पद पर रहे बगैर वह देश की सत्ता पर काबिज हो जाएंगें। बता दें कि पुतिन 2024 के बाद राष्ट्रपति पद पर नहीं रहेंगे। यह उनका अंतिम कार्यकाल है।
रूस में होंगे सत्ता के तीन बड़े केंद्र
अगर पुतिन सुरक्षा काउंसिल को और मजबूत करने में कामयाब हुए तो रूस में सत्ता के तीन केंद्र हो जाएंगे। इसमें रूस की संसद यानी ड्यूमा होगी । इसके बाद स्टेट काउंसिल भी एक शक्तिशाली निकाय होगा। इसके अलावा शक्ति का एक और प्रमुख केंद्र रूसी राष्ट्रपति होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि स्टेट काउंसिल को किस तरह के अधिकार दिए जाते हैं।