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Budget 2020 मोदी सरकार द्वारा पिछले कार्यकाल में शुरू किये गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के चौकाने वाले सुखद नतीजे सामने आये हैं। ...
नई दिल्ली :- मोदी सरकार द्वारा पिछले कार्यकाल में शुरू किये गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के चौकाने वाले सुखद नतीजे सामने आये हैं। इस देशव्यापी लोकप्रिय अभियान से न सिर्फ बेटियों के प्रति समाज में स्वीकृति बढ़ी है बल्कि बेटियां पढ़ भी रही हैं और आगे बढ़ भी रही हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करते हुए शिक्षा के हर स्तर पर नामांकन में लड़कियों के लड़कों से आगे रहने के आंकड़े पेश किये जो आधी आबादी की प्रगति और उत्थान की ओर इशारा करती है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान आश्चर्य जनक सुखद नतीजे आए सामने
वित्तमंत्री ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से समाज में आये बदलाव की झलक पेश करते हुए कहा कि यह बताते हुए उन्हें खुशी हो रही है कि इस योजना के आश्चर्यजनक सुखद नतीजे देखने को मिले हैं। शिक्षा के हर स्तर पर लड़कियों का नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में अधिक है। उन्होंने ब्योरा देते हुए कहा कि प्राथमिक स्तर पर लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात 94.32 फीसद है जबकि लड़कों का प्राथमिक स्तर पर नामांकन अनुपात सिर्फ 89.28 फीसद है।
इसी तरह माध्यमिक स्तर पर लड़कियों का नामांकन अनुपात 81.32 फीसद है और लड़कों का 78 फीसद। इतना ही नहीं उच्च माध्यमिक स्तर पर भी लड़कियों का नामांकन अनुपात लड़कों से आगे है। लड़कियों का नामांकन अनुपात 59.70 फीसद पर पहुंच गया है जबकि लड़कों सिर्फ 57.54 फीसद है।
देश की प्रगति और देश की नारी की प्रगति की ओर इशारा
बजट के दौरान संसद में पेश की गई लड़कियों की शैक्षणिक नामांकन स्थिति देश की प्रगति और देश की नारी की प्रगति की ओर इशारा कर रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ने यह साबित कर दिया है कि हमारा देश और समाज परिपक्व हुआ है और वह सकारात्मक अभियानों और प्रयासों को अपनाने लगा है। बस जरूरत है तो समाज की आत्मा जगाने वाले अभियानों की है।
बालिकाओं का सकल नामांकन अनुपात बालकों से आगे
मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में सत्ता में आने के बाद ही समाज में बेटियों के प्रति अनिच्छा और उन्हें गर्भ में ही मार देने की प्रवृत्ति के कारण गिरते लिंगानुपात को गंभीरता से लेते हुए 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की थी। शुरुआत में यह योजना उन जिलों में लागू की गई जहां लड़कों की तुलना में लड़कियाों का अनुपात काफी कम था और गंभीर लिंगानुपात अंतर था। धीरे धीरे कर योजना का दायरा बढ़ाया गया फिलहाल यह योजना देश के 640 जिलों में लागू है। 2015 से लेकर 2019 तक के आंकड़े देखने से पता चलता है कि लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है। लड़कियों की जन्मदर 918 से बढ़कर 931 हो गयी है।