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RGA न्यूज़ नई दिल्ली संवाददाता
नई दिल्ली: कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा के बीच सस्ते दरों पर कर्ज मुहैया कराने की व्यवस्था की। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (MSME) सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ की लोन गारंटी की बात कही। बैंकों ने भी इसे लेकर अपनी तैयारी कर ली, लेकिन हालात ये है कि बैंक लोन देना तो चाहते हैं, लेकिन लोग लोन लेने का खतरा लेने के हिचक रहे हैं। ये जानकारी देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कुमार ने दी। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर संबोधित करते हुए एसबीआई के चेयरमैन ने कहा कि लोग कर्ज लेने से कतरा रहे हैं।
लोन लेने से हिचक रहे हैं लोग:
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार कहा कि आज की स्थिति में ग्राहक जोखिम उठाने से कतरा रहे हैं। बैंक लोन लेने को तैयार हैं, लेकिन लोग लेने से घबरा रहे हैं। कर्ज लेने के लिए ग्राहक आगे नहीं आ रहे हैं। SBI के चेयरमैन ने कहा कि सरकार की ओर से MSME सेक्टर को 3 लाख करोड़ का लोन की गारंटी दी गई। सरकार ने इस योजना के लिए अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 30,000 करोड़ रुपए डाले है।
बैंकों के पास पैसा, लेकिन कर्जदार नहीं:
रजनीश कुमार ने कहा कि हमारे पास फंड है, लेकिन कर्ज की मांग नहीं है। जब बैंकों के पास कर्जदारों की कमी है तो ऐसे में बैंकों को अपना पैसा रिजर्व बैंक में रखना होता है। उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। लॉकडाउन के बाद से कर्जदारों की भारी कमी आई है। लोग कर्ज लेने से हिचक रहे हैं। कर्जदार जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने नकदी संकट उत्पन्न हो गई है, जिसके कारण बैंक और केंद्र सरकार लोगों को लोन बांटने पर जोर दे रहे हैं। बैंकों ने लोन लेने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। आरबीआई ने दो बार रेपो रेट में कटौती कर दी, ताकि लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके, लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद लोग कर्ज लेने से कतरा रहे हैं।
मोरेटोरियम के लिए भी उत्साह नहीं:
उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ का लोन की गारंटी दी गई। सरकार चाहती है कि इस सेक्टर से जुड़े लोन लोन लेकर अपने व्यापार को बचाए, लेकिन बाजार में इसे लेकर कुछ खास उत्साह नहीं दिखा। वहीं उन्होंने ये भी कहा कि कर्जदारों ने मोरेटोरियम (EMI भुगतान टालने का विक्लप) के लिए भी कुछ खास उत्साह नहीं दिखाया। SBI के चेयरमैन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक बैंक के सिर्फ 20 फीसदी कर्जदारों ने ही मोरेटोरियम का ऑप्शन चुना है।