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RGA न्यूज़ नई दिल्ली संवाददाता
नई दिल्ली:- भारत के बढ़ती जनसंख्या परेशानी खड़ी कर रही है, इस बात का अंदेशा हर किसी को है। पहले भी कई बार आबादी को काबू में करनी की आवाज उठ चुकी है। अब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी बढ़ती जनसंख्या को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या हमारे लिए एक चुनौती बन गई है। अगर हम विकसित राष्ट्रों के साथ खड़े होना चाहते हैं तो हमें जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना होगा। एक सख्त अधिनियम जो इस देश में सभी के लिए लागू होगा, चाहे वे किसी भी धर्म का पालन करें।
मंत्री गिरिराज ने आगे कहा, '11 जुलाई पूरे विश्व में जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। कभी जनसंख्या एसेट होती है तो कभी इसे लायबिलिटी के रूप में भी देखा जाता है। हम पूरी दुनिया की आबादी का लगभग 18% से ऊपर हो गए हैं। हमारे पास पूरी दुनिया के मुकाबले जमीन मुश्किल से 2% बची है।'
आइटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज (ग्रेटर नोएडा) के प्रोफेसर डॉ. कुलदीप मलिक बताते हैं कि बढ़ती जनसंख्या पूरे विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है, लेकिन भारत की दृष्टि से यदि इस खतरे की बात करें तो यह बहुत गंभीर एवं चिंतनीय है। इस खतरे को भांपते हुए चीन जैसे देश दशकों पहले इसका समाधान जनसंख्या नियंत्रण कानून के रूप में निकालकर लाए जो आज विश्व की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था के रूप में हम सभी के सामने है
वर्तमान में भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला -लगभग 137 करोड- देश है। विश्व में चीन पहले स्थान पर है। आजादी के बाद 34 करोड़ से बढ़कर हम लगभग 137 करोड हो गए हैं। प्रतिवर्ष एक करोड़ साठ लाख लोग बढ़ रहे हैं और जानकार बताते हैं कि अगले कुछ वर्षों में भारत चीन को पछाड़ कर विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा और हमारी आबादी डेढ अरब को पार कर जाएगी। हमारे सभी बडे प्रदेश की जनसंख्या दुनिया के किसी ना किसी देश के बराबर है। आबादी के हिसाब से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है जिसकी आबादी ब्राजील के बराबर है।
दुनिया की लगभग 18 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि दुनिया की केवल 2.4 फीसद जमीन, चार फी़सद पीने का पानी और 2.4 फीसद वन ही भारत में उपलब्ध हैं। इसलिए भारत में जनसंख्या-संसाधन अनुपात असंतुलित है जो एक बहुत ही चिंतनीय विषय है। यह विषय तब और गंभीर हो जाता है, जब जनसंख्या लगातार बढ़ रही हो और संसाधन लगातार कम होते जा रहे हों। बेरोजगारी से लेकर गरीबी तक, अनाज की उपलब्धता से लेकर शिक्षा तक और स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर यातायात व्यवस्था के भार से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के तमाम आंकड़ों से यह आसानी से समझा जा सकता है कि आबादी की चुनौती कितनी बड़ी है। प्रकृति के सभी साधनों की एक सीमा है, परंतु भारत की जनसंख्या बढ़ने की कोई सीमा नहीं है।