![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/29_07_2020-cp_joshi_20571519.jpg)
RGA न्यूज़ राजस्थान नई दिल्ली
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट एवं 18 अन्य विधायकों द्वारा दाखिल याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की है। ...
नई दिल्ली:- राजस्थान की सियासी उठापटक का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में नई याचिका दाखिल करके 24 जुलाई के राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने पर रोक लगा दी गई थी। बता दें कि सचिन पायलट एवं 18 अन्य विधायकों ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जोशी ने बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली थी।
जोशी ने तब भी सचिन पायलट एवं 18 अन्य कांग्रेसी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही पर रोक लगाने के हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि 24 जुलाई को हाई कोर्ट का इस मामले में विस्तृत अंतरिम आदेश आने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली थी।
सोमवार को स्पीकर सीपी जोशी की याचिका न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगी थी। स्पीकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 24 जुलाई को हाई कोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित किया है। अंतरिम आदेश हाई कोर्ट के विस्तृत अंतरिम आदेश में समाहित है। ऐसे में कोर्ट उन्हें 24 जुलाई के आदेश के खिलाफ उचित उपाय अपनाने की छूट देते हुए यह याचिका वापस लेने की इजाजत दे। कोर्ट ने मांगी गई छूट देते हुए याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी थी।
स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट को 24 जुलाई को आदेश देने से रोकने की भी मांग की थी लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने यह मांग नहीं मानी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट का जो भी आदेश होगा वह सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन होगा। इतना ही नहीं उस दिन सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी बैठक में नहीं शामिल होने पर स्पीकर द्वारा विधायकों को अयोग्यता नोटिस दिए जाने पर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की थी कि लोकतंत्र में विरोध का स्वर इस तरह नहीं दबाया जा सकता। वहीं हाई कोर्ट ने 24 जुलाई को विस्तृत अंतरिम आदेश में स्पीकर की ओर से याचिका पर उठाई गई प्रारंभिक आपत्तियां खारिज कर दी थीं। हाई कोर्ट ने 13 कानूनी प्रश्न तय करते हुए पक्षकारों से जवाब मांगा था।